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शुद्धतम वक्तव्य है और इसमें व्याख्या-टीका की संभाव्यता न्यूनतम है। ऐसे में श्री चन्द्रप्रभ का यह उद्बोधन हम सबके लिए वरदान है। उन्होंने इस सत्य को समय सापेक्ष रूप देकर और जनोपयोगी बना दिया है। 'अष्टावक्र-गीता की यह अनूठी यात्रा निश्चय ही जन्म और मृत्यु से अतीत जीवन को समझने के लिए नव दृष्टि प्रदान करेगी।
-सोहन
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