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अंदर के पृष्ठों में
साक्षित्व का सूर्योदय भेद-विज्ञान की पहल आत्मज्ञान का अहोभाव अंतर्दृष्टि की कसौटी भोग भी, योग भी
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त्याग हो देह-भाव का
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स्थितप्रज्ञ की स्थिति संसार में खिले समाधि के फूल निर्द्वन्द्व होने की कला
ओ रे मन, अब तो विश्राम कर परिस्थितियों के प्रति निरपेक्षता
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विक्षेपों पर विजय
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मालिक बनें मन के समझ उन्नत दशा की विषय-विरसता ही मोक्ष सत्य स्वयं में समाहित मुक्त चेतस् की अहोदशा
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