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ध्यान से शक्ति का रूपान्तरण
मनुष्य विशुद्धतः शक्ति का पर्याय है । शक्ति के दो आयाम हैंबनाएँ या मिटाएँ । सृजन और निर्माण शक्ति के सार्थक सूत्र हैं । खंडहर और विध्वंस शक्ति का दुरुपयोग है । मनुष्य के पास शक्ति की बेमिसाल उपलब्धियाँ होना मनुष्य की अपनी विशेषता है, किन्तु हम अपने जीवन के विविध क्षेत्रों का कैसा उपयोग करते हैं, यह हमारे मानवीय विवेक पर निर्भर करता है।
ऐसे मन मिलने कठिन हैं जो निष्पाप और निष्कलुष हों। मनुष्य के मन के पास शक्ति का अकूत ख़ज़ाना है। मन की चेतना एकाग्र और तन्मय न होने के कारण ही उसकी ऊर्जा और क्षमता पतनशील बनी हुई है । मन की शक्ति को यदि एकाग्रता और आत्म-विश्वास का संबल मिल जाये,
५२ / ध्यान का विज्ञान
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