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________________ रोगों की दवा है। योग्य माध्यम से, योग्य तरीके से स्वयं में उतर कर ही स्वयं के रोगों का उन्मूलन और उच्छेदन किया जा सकता है । अचेतन मन से भागने से काम नहीं बनेगा । वह तो हम जहाँ भी जाएँगे, छाया की तरह हमारे साथ लगा रहेगा । इसलिए भगो मत ! उससे बचने की कोशिश न करें। स्वयं के प्रति सहजता लायें, स्वयं में उतरें । स्वयं का स्वयं में उतरना ही मनुष्य की अन्तर्यात्रा है, अंतर-निर्मलता का अनुष्ठान है। स्वयं में उतर कर स्वयं को समझना ही संबोधि - ध्यान है। हम युक्तिपूर्वक भीतर उतरें, सजगतापूर्वक भीतर उतरें । शरीर और मन को विश्राम की स्थिति में लायें । चित्त के प्रति सजग हों, अंतरमन में स्वयं को देखें और प्रभु की दिव्य शक्ति को अंत:करण में पुकारें । पहले पहल सजगता और एकाग्रता सधेगी । तुम दृष्टा बनोगे। बाद में दृष्टा भी विलीन हो जाता है । केवल अस्तित्व ही शेष रहता है । तुम स्वच्छ दर्पण हुए, मनुष्य एक निर्मल आईना हुआ । कहते हैं : भगवान् महावीर जंगल में साधना - लीन खड़े थे। किसी ग्वाले ने अपने बैलों की सुरक्षा के लिए महावीर को ध्यान रखने के लिए कहा। महावीर तो साधना में थे । उनके कानों ने ग्वाले की बात को ग्रहण ही नहीं किया । ग्वाला अपना काम निपटाकर जब गाँव से वापस लौटा तो पाया कि उसके बैल महावीर के पास नहीं थे । सोचा, इधर-उधर चरते होंगे । उसने काफी ढूँढ़ा, मगर जानवर नहीं मिले। थक-हार कर जब महावीर के पास लौटा, तो देखा कि उसके बैल साधना-लीन महावीर के पास खड़े थे । ग्वाले को लगा कि महावीर ने पहले उसके बैलों को छिपाकर रख दिया था, पर उसके भय से वापस ला खड़ा किया है। ग्वाले ने जब महावीर से अपने बैलों के बारे में पूछा, तब भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था, मानो उनके कान ही न हों; बहरे हों । ग्वाले ने सोचा अब तक तो इसने बहरे होने का ढोंग ही किया था, पर अब मैं इसे हकीकत में बहरा बना देता हूँ। अभी पता चल जायेगा यह साधना कर रहा है या साधना का ढोंग रच रहा है। उसने दो पतली तीखी सलाई उठाई और लगा उन्हें महावीर के कानों ३४ / ध्यान का विज्ञान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003865
Book TitleDhyan ka Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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