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ध्यान के जीवन - सापेक्ष परिणाम
हृदय- केंद्र के जागरण से जीवन में प्रेम और करुणा के फूल खिलते हैं। स्वयं के एकत्व - बोध से चित्त में शांति और मौन घटित होता है । अपने सच्चे स्वरूप का ज्ञान होने पर जीवन में चिर मुस्कान और आनंद का आविर्भाव होता है। ध्यान एक ऐसा मार्ग है जो मनुष्य को इन चारों आयामों से गुजरने का अवसर देता है । मन की शांति के लिए हम हृदय- केन्द्र पर अवस्थित हों । प्रेम और करुणा से जीवन के सरोवर को लबालब करने के लिए हम समग्र अस्तित्व के साथ एकाकार हों । चिर आनंद के लिए स्वयं के सच्चे स्वरूप में अंतरलीन हों ।
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मनुष्य के पास प्रेम का जो फूल खिला हुआ है, उसका धरातल स्वार्थ और वासना से घिरा हुआ है । मन से उठी हुई प्रेम की हिलोर अंततः वासना
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ध्यान के जीवन-सापेक्ष परिणाम / २१
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