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ध्यान : विधि और विज्ञान
ध्यान योग वास्तव में उन लोगों के द्वारा स्थापित मार्ग है, जिन्होंने इसके द्वारा बुद्धत्व और जिनत्व के फूल स्वयं में सुवासित होते पाये! महावीर और बुद्ध ने जो कुछ पाया, वह ध्यानयोग से ही पाया। महावीर की अहिंसा और बुद्ध की करुणा उनके ध्यानयोग की निष्पत्तियाँ थीं! महावीर का तो मल मार्ग ही ध्यान है। वे बारह वर्ष तक मौन एवं एकान्त में रहे। उन्होंने लगातार आत्म-अनुसंधान किया। स्वयं का अनुसंधान ही ध्यानयोग है। उन्होंने ध्यानावस्था में कैवल्य-बोध का दिव्य प्रकाश उपलब्ध किया। महावीर के जितने भी मंदिर हैं, जहाँ पूजा-पाठ चलता है, आश्चर्य है, वहाँ महावीर की प्रतिमा ध्यानावस्थित वीतराग की है। महावीर जिन कहलाते हैं। जिन यानी जीतने वाला। जो अपने-आपको जीते, वह जिन। ध्यान विजय का
१०२ / ध्यान का विज्ञान
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