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नहीं पूछी, पानी तक का नहीं पूछा और आते ही अपनी लिपिस्टिक, पाउडर की हो - हुल्लड़बाजी करने लग गई। रात को ग्यारह बजे पत्नी ने किसी को फोन लगाया। उसने उससे पूछा कि आज रास्ता जाम तो नहीं था। तभी जवाब मिला हाँ-हाँ आज तो लाल फीता वालों ने बहुत बड़ा जुलूस निकाला था। सो दो-ढाई - तीन घंटे तक जाम रहा। पत्नी को लगा कि मेरा पति ज़रूर उसमें फँस गया होगा । नहीं तो हमेशा वक़्त पर आता है। आते समय काम करके लाता ही है । आज वह फँस गया। मैंने उल्टा-सुल्टा कह दिया । नहीं-नहीं, मुझसे ग़लती हो गई । ' सॉरी,
मैंने
अगले दिन सुबह जैसे ही वह उठी, उसने पतिदेव से कहा कल आपको मन में आए वैसा बोला, आप मुझे माफ़ करिएगा। मुझे होश नहीं रहा था। मैं मन में आए वैसा बोलती चली गई। पति मुस्कुराया और कहने लगा 'कोई बात नहीं । हो जाता है, कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है, हो गया सो हो गया ।' पत्नी ने कहा - 'हो गया सो तो हो गया, यह बात तो मेरे समझ में आ गई, पर एक बात मेरी समझ में न आई कि आज तक मैं एक शब्द बोलती थी तो आप चार शब्द सुनाते थे, पर कल रात को आपको मैंने दस मिनिट तक भला-बुरा कहा, पर फिर भी आप चुप रहे। आखिर इसका कारण क्या है?' बोले 'कारण - वारण कुछ नहीं है । गुरुजी ही इसका कारण है । ' बोली - मतलब? पति बोला - गुरुजी ने कल मंत्र दिया था - 'गूँगे बनो' । सो मैंने घर आते ही जैसे ही तू चिल्लाने लगी मैं गूँगा बन गया, कुछ नहीं बोला ।
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पत्नी को लगा 'यार! इस मंत्र में तो बड़ा दम है ।' उसने कहा - 'मैं भी इस मंत्र को अपनाऊँगी।' तो पत्नी ने भी इस मंत्र को अपना लिया। पति ने कभी टेढ़ा शब्द कह दिया, पत्नी गूँगी। पति कहता 'अरे, जवाब तो दे'। अब वो इशारे में वापस ज़वाब देती? जवाब एक ही होता - मुँह पर अंगुली । पाँच-सात दिन तक तो कभी ऊँ तो कभी आँ। सातवें दिन जब कोई बात हुई तो फिर पत्नी ने कहा ऊँ । और ऊँ कहते ही दोनों हँस पड़े। सात दिन उनका चाहे जैसा बीता होगा पर सात दिन के बाद उनकी जिंदगी हमेशा के लिए ख़ुशहाल बन गई । इसलिये मैंने कहा कि ये बंदर केवल हमसे इतना ही नहीं कहते कि बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सोचो। ये बंदर हमसे यह भी कहते हैं कि बहरे बनो तब, जब कोई हमें निंदा-आलोचना के टेढ़े शब्द कहने लगे। तब कुछ सुनो ही नहीं, ध्यान ही मत दो। जब भी कोई ग़लत दृश्य नज़र आ जाए तब अँधे बनो और जब भी कोई टेढ़ा शब्द हमें कहने को आ जाए और हमें गुस्सा आने लगे तब
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