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जातियों को ऊपर उठाया जाए। इस लिहाज़ से आरक्षण का मुद्दा लागू किया गया था, लेकिन गरीबों को पूरा सहयोग नहीं मिल पाया, केवल जातियों को समर्थन मिल गया और परिणाम यह निकला कि हमारा देश अब धर्म के नाम पर कम चलता है, संस्कृति के नाम पर कम चलता है। अब हमारा देश केवल जातियों के नाम पर चलता है। सारे चुनाव, सारी राजनीति अब जातियों पर आकर सिमट गई है। अगर यह देश, देश का कानून, देश की राजनीति समय रहते देश में बढ़ रहे जातीयकरण पर अंकुश न लगा पाई तो आने वाले समय में न कोई हिन्दू रहेगा और न मुस्लिम और जैन रहेगा, न कोई सिक्ख और ईसाई रहेगा। तब इस देश में केवल या तो जाट रहेंगे, या कुम्हार रहेंगे, या राजपूत रहेंगे, मेघवाल रहेंगे, ओसवाल रहेंगे, अग्रवाल रहेंगे, माहेश्वरी रहेंगे। धर्म मिट जाएँगे, पंथ मिट जाएँगे, इंसान मिट जाएँगे, केवल जातियाँ भर रह जाएँगी।
हमारा देश पिछले पचास साल में यह समझ पाने में तो सफल रहा है कि देश के लिए साम्प्रदायिकता एक ज़हर है। उस ज़हर को काटने का बहुत प्रयास किया गया। साम्प्रदायिकता का जुनून तो कम कर दिया गया, पर जातियों का जुनून बढ़ा दिया गया। यह देश के लिए घाटे का सौदा है। लोकसभा, विधानसभा, हाईकोर्ट
बैठकर ठंडे मिजाज से सोचें कि आने वाले दस साल के बाद वह अपने देश के लिए किन्हीं प्रतिभाओं का निर्माण और पोषण करना चाहता है या केवल जातियों का निर्माण करना चाहता है। अगर देश में प्रतिभाएँ मूल्यवान न रहीं तो प्रतिभाएँ विदेशों में चली जाएँगी। विश्व भारत का लोहा मानता है और मानता है कि जितनी प्रतिभाएँ इस देश में हैं उतनी पूरे विश्व में और कहीं भी नहीं है।
बिल गेट्स को जब अपना निजी सचिव एवं सलाहकार नियुक्त करना था, तो उसने इंटरनेट पर प्रतिभाओं का इन्टरव्यू लेना शुरू किया, पूरे विश्व की प्रतिभाओं का इन्टरव्यू लिया। लेकिन जब चयन हुआ तो एक भारतीय व्यक्ति का चयन हुआ। जब एक भारतीय व्यक्ति का चयन हुआ तो अमेरिका जैसे देश में यह मूल्यांकन किया गया कि अमेरिका में कितने भारतीय आ चुके हैं। चाहे चिकित्सा का क्षेत्र हो, विज्ञान का क्षेत्र हो, व्यापार का क्षेत्र हो, 20 प्रतिशत संख्या भारतीयों की होती चली जा रही है। कभी अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश ने अपने देशवासियों से कहा था - अमेरिकावासियो ! जागो, नहीं तो भारत की ये प्रतिभाएँ एक दिन अमेरिका पर कब्जा कर लेंगी। पूरा विश्व जार्ज बुश के इस वक्तव्य से परिचित है। भारत में प्रतिभाएँ हैं, आने वाला कल उनका होगा जिनके
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