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विद्वान व्यक्ति जहाँ भी जाएगा, पूजनीय ही बनेगा ।
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आज की तारीख में टेलेंट की बहुत इज़्ज़त है । हमारे वर्तमान युग की सबसे महान् उपलब्धि यही है कि आज का हर युवक, हर व्यक्ति अपने-अपने टेलेंट को तराशने में लगा हुआ है, अपने-अपने केरियर को बनाने में लगा हुआ है । पहले के ज़माने में पिता अस्सी साल का हो जाता तब भी बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा करना पड़ता था । बाप अगर किसान है तो बेटे भी किसान बनते, बाप अगर मुनीम है तो बेटे भी मुनीम बनते, लेकिन अब ज़माना बदल गया है । जितना महान युग आज हमारे समय में आया है, उतना महान युग अतीत के इतिहास में कभी नहीं आया । आज का युग, आज का इंसान जितना सुखी हुआ है, जितना स्वतंत्र हुआ है, जितना आज़ाद और समृद्ध हुआ है इतना पहले कभी नहीं हुआ। पहले ज़माने में सम्पन्न सेठ, साहूकार गिनती के होते थे गाँव में, शहर में कोई दस-बीस - पचास कारें दिखाई देती थीं । दस-बीस - सौ बग्गियाँ नज़र आती थीं। आज का युग जितना सुखी है, जितना समृद्ध है, उतना पहले नहीं था। पहले ज़माने में कोई एक व्यक्ति राजा होता था, कोई एक व्यक्ति नगर- सेठ होता था, आज तो नगर को छोड़ो, गाँव को छोड़ो, हर गलीगली और मौहल्ले-मौहल्ले में आपको नगर-सेठ नज़र आ जाएँगे। ऐसा सुखीसमृद्ध युग कभी नहीं आया। आज जिस तरह से हम लोग प्रगति के पथ पर बढ़े चले जा रहे हैं, केवल बीस साल तक यह दुनिया इसी तरह प्रगति के पथ पर चलती रही तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जो उपलब्धियाँ पिछले पाँच हज़ार साल में यह दुनिया उपलब्ध नहीं कर पाईं, केवल बीस साल में यह दुनिया उपलब्ध कर जाएगी। यह युग लड़ने-लड़ाने का युग नहीं है । यह युग टूटनेतोड़ने का युग नहीं है। यह युग बनने और बनाने का युग है। आपस में गले लगने का युग है। यह एक-दूसरे को समर्थन देकर आगे बढ़ने-बढ़ाने का युग है । हर व्यक्ति अब बढ़ सकता है और बढ़ने का जो आधार है वह व्यक्ति का अपना टेलेंट है, व्यक्ति की अपनी प्रतिभा है ।
मानता हूँ आरक्षण के मुद्दे ने हमारे देश की अनेक-अनेक प्रतिभाओं को विदेश में जाने को मज़बूर किया। मैं जानता हूँ आरक्षण इस देश के लिए उपयोगी न बन पाया। हालाँकि नज़रिया तो यह था कि गरीब तबके के लोगों को ऊपर लाया जाए। वे जातियाँ, जिन्हें समाज में हल्की नज़र से देखा जाता है, उन
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