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________________ में हर साल लाखों, करोड़ों रुपया खर्च करवा सकते हैं तो क्या इंसानों को खिलाने की हमारे पास ताक़त नहीं होगी। क्या अपना पेट भरने की हमारे पास हैसियत नहीं होगी? भगवान ने हमें कंधे दिए हैं, कमाने के लिए दो-दो हाथ दिए हैं और इज़्ज़त की जिंदगी जीने के लिए भगवान ने यह वाणी, क़लम और बुद्धि दी है। तरस की रोटी नहीं खायेंगे, जो रोटी खायेंगे वो प्रेम और परिश्रम की खायेंगे। जिंदगी हमें बदलनी होगी। जिंदगी जो कमज़ोर हो रही है, हमारे ज़ज़्बात, हमारे ज़ज़्बे जो कमज़ोर हो रहे हैं, हमें उनको बदलना होगा और अपने भीतर दम-खम लाना होगा। सही सोच हो, सही दृष्टि हो, सही हो कर्म हमारा। बदलें जीवन धारा॥ यह गीत जीवन का गीत है, यह गीत सफलता और कामयाबियों की नई मंज़िलों तक पहुँचने का गीत है । यह गीत कम, सफलता की गीता ज़्यादा है। सही सोच हो, सही दृष्टि हो, सही हो कर्म हमारा। बदलें जीवन धारा॥ बेहतर लक्ष्य बनायें अपना, ऊँचाई को जी लें भले न पहुँचें आसमान तक, मगर शिखर को छू लें। शांति और विश्वास लिये हम, दूर करें अंधियारा। बदलें जीवन धारा॥ लोग कहते हैं, गाय दूध देती है। क्या आप भी कहते हैं। बचपन से सबने पढ़ रखा है कि गाय दूध देती है। मैंने सोचा कि गाय दूध देती है, तो देखना चाहिए। मैं गाय के पास जाकर खड़ा हो गया कि गाय हमें दूध देगी, पर उसने नहीं दिया। गाय हमें देती ही नहीं है, जो देती है वह खाने या पीने के काम का नहीं होता। जिंदगी में कोई कुछ नहीं देता, हमारी क़िस्मत हमें कुछ नहीं देती। क़िस्मत से भी दूध निकालना पड़ता है। दूध भी गाय से दुहकर निकालना पड़ता है। केवल क़िस्मत का रोना रोते रहोगे तो कुछ भी नहीं मिलने वाला।'क' से क़िस्मत होती है और क से कर्मयोग। क़िस्मत फल देती होगी, पर हर आदमी क़िस्मत वाला नहीं होता। हमें कर्म करना होगा, कर्म से क़िस्मत के द्वार खोलने होंगे। ऊँचे लक्ष्य, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत सफलता की जननी है। मैं तो कहूँगा सपने देखो भाई, सपने देखो। जो आदमी जितना ऊँचा सपना | 21 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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