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________________ सीख जाते हैं, इसलिए अपने बच्चों को भूल-चूककर भी अपने घर का गमला मत बनाओ कि कोई एक दिन पानी न दे तो सूख जाए। अपने बच्चों को जंगल का पौधा बनाओ जिसको कोई पानी देने वाला न मिले तब भी अपने पाँवों पर वह खुद खड़ा हो सके। खुद के बलबूते पर । याद रखना, ग़रीब की कोई इज़्ज़त नहीं होती, उसे हर जगह हेय दृष्टि से, हीन - भावना से देखा जाता है। मेरी समझ से मंदिर की प्रतिष्ठा में सवा करोड़ का चढ़ावा चढ़ाने वाले व्यक्ति से दुनिया में आज तक किसी ने नहीं पूछा होगा कि तुमने पैसा कैसे कमाया है? बस पैसा तूने समाज में लगा दिया, तेरी इज़्ज़त हो गई । ग़रीबी अभिशाप है। दुनिया में गरीबों की कोई इज़्ज़त नहीं होती। ग़रीब का बेटा अगर समझदार होगा और ज्ञान की दो बात कहेगा तो लोग उसे टोकेंगे, चुप करा देंगे और अमीर का बेटा अगर भोला-भाला होगा, मीटिंग में बैठा होगा और नासमझी की बात करेगा तब भी लोग उसे सुनना चाहेंगे, कोई रोक-टोक नहीं । माफ़ कीजिएगा, एक संत होकर मुझे आपको अमीर होने की प्रेरणा देनी पड़ रही है, क्योंकि मुझे संन्यास लिए हुए तीस साल हो गये और इन तीस सालों का तजुर्बा यह है कि समाज में न चरित्र की इज़्ज़त होती है, न गुण की, न ज्ञान की इज़्ज़त होती है, यहाँ पर केवल पैसे की इज़्ज़त होती है । इसीलिए कहूँगा कि हर आदमी अमीर बने, केवल पति के बलबूते पर आपका घर अमीर नहीं हो सकता । बहू भी मेहनत करे, बेटा भी मेहनत करे, पर इज़्ज़त की जिंदगी ज़रूर बनाएँ । ग़रीब घर में पैदा हुए, कोई दिक्कत नहीं, पर अपने आप को अब ग़रीब मत रहने दो। यह प्रगति का युग है, निर्माण का युग है, आने वाली दुनिया में अपनी जगह बनाने का युग है। पहले तो साधन नहीं थे। तब अगर एक जगह से दूसरी जगह धंधा करने के लिए जाना होता, तो कंधे पर चार थान कपड़े के उठा कर ले जाने पड़ते थे। अब ऐसा नहीं है, अब ढेर सारे साधन हैं। हम लोग निठल्ले बैठे हैं इसलिए हम लोग अमीर नहीं बनते। आज से ही अगर अपनी आत्मा को जगा लें और आने वाले केवल दस साल के लिए पुरज़ोर मेहनत करना शुरू कर दें तो दस साल बाद आपके घर का, आपके परिवार का हुलिया ही बदल जाएगा। यक़ीनन । सच्चाई तो यह है कि मैं भी एक सामान्य घर में ही पैदा हुआ। कहते हैं कि हमारे पड़दादों के पास सोने के झूले थे । कहते हैं ऐसा, मैंने नहीं देखा । मेरी माँ कहती थी कि बेटा जब तुम पैदा हुए थे तो तुम्हें पिलाने के लिए दूध के पैसे भी 14 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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