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________________ नहीं तो वे भी जालम जी लगेंगे। हास्य बोध रखो । I ऐसा हुआ कि एक महानुभाव आये और कहने लगे कि साहब हमारा अमेरिका तो बड़ा विचित्र देश है । वहाँ पर तो जितनी शादियाँ होती हैं सारी की सारी ई-मेल से होती हैं। मैं मजाक के मूड में था । मैंने कहा माफ़ करना भाई तुम्हारे यहाँ ई-मेल से होती होंगी, हमारे यहाँ तो आज भी फीमेल से होती हैं। ऐसा हुआ ग़रीब बेकरी वाले के पास एक आदमी गया और जाकर बोलने लगा - क्यों जी कुत्तों के लिए बिस्कुट हैं? अगला भी महागुरु था । उसने कहा -क्यों जी यहीं खायेंगे या पैक कर दूँ? - हँसने का कोई भी बहाना ढूँढा जा सकता है। चुटकुला । हँसने-हँसाने का ही माध्यम है। वातावरण की बोझिलता को दूर करने का सबसे बड़ा ज़रिया है चुटकुला । हताशा, निराशा, चिंता, हीनभावना को दूर करने का सबसे प्रभावी तरीका है : खुद भी मुस्कुराओ और दूसरों को भी मुस्कुराने का अवसर प्रदान करो । हँसना और मुस्कुराना अपने व दूसरों के दुख-दर्द को दूर करने का सबसे प्रभावी और मनोवैज्ञानिक तरीका है । पाँचवीं बात : वीर हनुमान को अपना आदर्श बनाओ। हनुमान जी आत्मविश्वास के प्रतीक हैं । उनके लिए असंभव जैसा कोई काम नहीं है । हनुमान के आते ही असंभव का 'अ' हट जाता है और सब कुछ संभव बन जाता है। सीताजी का अपहरण हो जाने पर उन्हें ढूँढ निकालना असंभव जैसा कार्य था । उस समय न आज जैसी सीबीआई थी, न उपग्रह और सेटेलाइट फोन सुविधा, पर हनुमान जी अकेले ही सम्पूर्ण सीबीई थे । जांबवंत ने उनके सोये हुए पौरुष को जगाया तो परिणाम ये निकला कि जिस सीताजी को स्वयं श्री राम नहीं खोज पाए, वह काम हनुमान ने कर दिखाया। 400 योजन दूर लंबा लंका को भी ढूँढ निकाला और माँ सीता को भी । तब स्वयं राम ने कहा था- मेरे जीवन में हनुमान जैसा हितैषी और कोई नहीं है । मैं तो कहूँगा जब-जब आपका मन कमज़ोर पड़ जाए, हनुमान जी की जय बोलो और कूद पड़ो मैदान में, आपकी नैया कैसे पार लग जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा। मैं भी अनेक दफ़ा हनुमानजी को याद कर लेता हूँ । विश्वास कीजिए हनुमान हर दुर्बल मन के राम हैं। मैंने सुना है : अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा भी हनुमान जी की तस्वीर का लॉकेट पहनते हैं । परिणाम देख लो : जीत Jain Education International For Personal & Private Use Only | 129 www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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