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________________ किसी को पहले पता नहीं होता। मैं तो तुम्हारे सवाल का जवाब दे रहा था, तुमने तो सचमुच अपना जीवन ही सँवार लिया । कंस को भविष्यवाणी हुई थी कि आठवाँ पुत्र तेरा काल बनेगा । जीवन के प्रति मोह होने के कारण कंस ने देवकी के सभी पुत्रों को मार डाला । काल तो आठवाँ पुत्र बनना था, लेकिन कंस ने सभी को इसलिए मार डाला क्योंकि वह भय के मारे यह तय नहीं कर पाया कि आठवें की गिनती कहाँ से शुरू होगी। संत एकनाथ ने कहा, मौत तय है, इसलिए जीवन के हर पल का आनन्द लेता हूँ, मेरी मस्ती का यही राज़ है । एकनाथ ने उसे जीवन और मृत्यु का रहस्य समझा दिया । जीवन और मृत्यु का बोध होना चाहिए। मृत्युदेव के सामने जाने से भी कुछ लोगों को अक्ल नहीं आती। कई लोग कोमा में चले जाते हैं, उनकी धड़कन बंद हो जाती है । डाक्टर उन्हें मृत घोषित कर देते हैं। लेकिन कुछ देर बाद उनकी धड़कन फिर से चलने लगती है। वे ज़िंदा हो उठते हैं। ऐसे लोग कई तरह के किस्से सुनाते हैं । मौत के बाद मैं अंधेरी गुफाओं में गया। वहाँ एक सफेद दाढ़ी वाले महात्मा मिले। आकाश में परियों को देखा। कोई बताता है - दो काले-काले दूत मुझे लेने आए थे; लेकिन किसी ने कहा, अभी इस मानव का आयुष्य पूर्ण नहीं हुआ है, इसलिए वे मुझे छोड़ गए। इस तरह के लोगों के मन से फिर मृत्यु का भय निकल जाता है। उन्हें जीवन की निरर्थकता का बोध हो जाता है। वास्तव में इंसान को मौत नहीं मारती, मौत के प्रति रहने वाला भय मार डालता है। निर्भीकता से जीवन जीने के लिए आवश्यक है व्यक्ति यह बोध रखे कि मृत्यु से सब-कुछ समाप्त नहीं हो जाता । मृत्यु के बाद भी जीवन है । आखिर वह क्या चीज़ है, जो हमारे जीवन को धारण करती है । वह है, आत्म- - चेतना 1 मृत्यु देव आते हैं, हमारे प्राण ले जाते हैं । मृत्यु के बाद क्या ? यह ऐसा प्रश्न है जिसे सुनकर मृत्यु देव भी हक्के-बक्के रह जाते हैं । यमराज सोचने लगे, नचिकेता ने यह क्या पूछ लिया । मृत्यु अपना रहस्य किसी को नहीं बताती । उसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता; इसीलिए तो लोग मृत्यु से डरते हैं। यमराज सोचने लगे कि नचिकेता कुछ और क्यों नहीं माँग लेता । भला ये क्या सवाल हुआ कि मृत्यु के बाद क्या होता है । उन्होंने नचिकेता को समझाने का प्रयास किया कि कुछ और माँग ले। मृत्यु का रहस्य मत पूछ । यह आत्मज्ञान रहने दे । नचिकेता ने कहा, मैं पृथ्वी से इतनी दूर इसीलिए तो नहीं आया कि आप जो कहें, वही कर लूँ । आपसे शिक्षित हुआ मैं नचिकेता आपसे पुनः आग्रह कर रहा हूँ कि तीसरे वर के रूप में आप मुझे मृत्यु का रहस्य बताएँ । यमराज ने उसे लालच देना चाहा, तुम 96 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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