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है। ज्ञान से ही विकास होता है, ज्ञान से ही धन का अर्जन होता है, ज्ञान से ही यश प्राप्त होता है । ज्ञान से ही जीवन सार्थक होता है।
हमारा हर दिन उत्साह और उमंग से भरा होना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि पूरी जिंदगी जी ली, लेकिन उसका कोई अर्थ समझ में नहीं आया। जीए क्यों,.क्योंकि मरे नहीं? भला, यह क्या बात हुई ? हमारा हर दिन परिणामदायी होना चाहिए। सूरज उगता है, तो एक परिणाम लेकर साँझ को अस्ताचल की ओर जाता है। हम भी सार्थक परिणाम लेकर जाएँगे, तो इस जीवन का सही उपयोग माना जाएगा।
ऐसे लोग अभागे होते हैं, जो पूरी जिंदगी जीने के बाद भी मृत्यु का स्वागत नहीं कर पाते। कहते हैं, अभी तो बहुत-कुछ करना शेष है। जीवन के भोगों से मन नहीं भरा। अभी पोते की शादी करनी है। उसके बेटे का मुँह देखना है। इच्छाएँ, लालसाएँ समाप्त ही नहीं होती। अरे भाई, पूरा जीवन जी लिया, अब भी कुछ शेष है ?
जिन लोगों को जीवन का ज्ञान नहीं होता, वे और जीने की लालसा में फँसे रहते हैं। जिन्हें जीवन की अनित्यता का बोध हो गया, वे जीते भी हैं शान से और मौत का स्वागत भी करते हैं शान से। आज मरना हो, तो भी शान से तैयार हैं । अतृप्त रहने वाले कहते हैं, अभी मन नहीं भरा। अभी तो कई काम बाकी हैं। अरे, भले आदमी, साठ साल बीत गए, अब भी कुछ बाकी है तो बचे हुए गिनती के साल में क्या कर पाओगे? कुछ साल बाद मृत्यु आएगी, तब भी यही कहोगे, हे मृत्युदेव, कुछ दिन बाद आना। एक दुकान में घाटा चल रहा है, उसे लाभ में लाना है। अरे भाई, ययाति मत बनो। महावीर और बुद्ध बनो। हँसते-हँसते जीयो, और हँसते-हँसते मरो। गाँधी की तरह जीये तो भी धन्य है, और मरे तो भी धन्य है। अमरता के राज़ इस तरह की मृत्यु में ही छिपे हैं। ___आदमी तो मुसाफिर है, उसे चलने के लिए तैयार रहना चाहिए। मृत्यु का कोई भरोसा नहीं, कब आ जाए। किसका, कितना आयुष्य शेष है, कोई नहीं जानता। इसलिए वह आ धमके, उससे पहले इतना कुछ कर डालो कि जाने का ग़म न रहे।आज को इतना जी लो कि कल की लालसा ही न रहे। वर्तमान को शक्तिमान बनाओ। भविष्य को भविष्य का नहीं, वर्तमान का परिणाम बनाओ।
न तो इंसान का अतीत प्रभावशाली होता है और न ही भविष्य का कोई ठिकाना। सबसे शक्तिशाली है आज, वर्तमान। आज को भरपूर जी लो। उसे अपनी संपूर्ण ऊर्जा से इतना शक्तिशाली और उपयोगी बना लो कि हमारा भविष्य हमारे वर्तमान का परिणाम हो जाए।
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