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________________ तत्त्व है जो व्यक्ति को जीवित रखती है और जिसके अभाव में व्यक्ति मर जाया करता है। अग्नि जीवन की ऊर्जा है, ऊष्मा है, तेजस्विता है, जीवन की जान है। जब कोई इंसान अपने नश्वर शरीर का त्याग करता है तो पहली घटना यही घटित होती है कि व्यक्ति की चलने वाली श्वास बंद हो जाया करती है। केवल श्वास ही बंद नहीं होती, उसके शरीर का तापमान भी धीरे-धीरे कम होता चला जाता है। तापमान यानी अग्नि । व्यक्ति के जीवन की अग्नि बुझ जाती है, तो वह जीवन भी बुझ जाया करता है । इस शरीर को ज्योतिर्मय और शरीर को सक्रिय रखने वाला अगर कोई साधन है तो वह साधन है अग्नि। ___ हिमालय की कंदराओं और गुफाओं में रहने वाले ऋषि-मुनियों का शरीर भीषण सर्दी में भी गर्म रहता है, अर्थात् कितनी भी सर्दी क्यों न पड़े, शरीर में मौजूद अग्नि-तत्त्व शरीर को गर्म रखता है। गर्म शरीर जीवित होने की निशानी है। अग्नि वह देवता है, वह महाभूत है जो प्राणी मात्र में विद्यमान रहता है। अग्नि है तो हम हैं, अग्नि निकल गई तो जीवन बुझ गया। दुनिया में प्रचलित अनेक परंपराएं मानती हैं कि अग्नि-तत्त्व की उपासना से स्वर्ग नहीं मिलता, लेकिन यह सभी मानते हैं कि अग्नि हमारे जीवन का आधार है। शरीर को सक्रिय रखने का आधार तत्त्व अग्नि है। दुनिया में जितनी भी चीजें चालित होती हैं, उनके पीछे अग्नि की ऊर्जा काम करती है। करंट क्या है? अग्नि ही तो है। मशीन गर्म होती है, भाप बनती है, उससे ऊर्जा उत्पन्न होती है और गाड़ी चल पड़ती है। कहते हैं कि सृष्टि का जन्म हुआ, तो ईश्वर ने अपने-आप को जिस रूप में प्रकट किया, वह पहला तत्त्व अग्नि ही था। धरती एक आग के गोले से ही बनी। इसी तरह अग्नि-तत्त्व से एक-एक कर चीजें बनती चली गईं। मिट्टी भी रही होगी, जल भी रहा होगा, लेकिन यह भी सत्य है कि अग्नि भी थी। ज़रा सोचो, आसमान में सूर्य उगता है, सूर्य क्या है? अग्नि का एक गोला। अगर सूर्य न होता, तो क्या होता? अगर धरती पर अग्नि न होती, तो क्या होता? सिवा अंधकार के, सिवा बर्फ के और कुछ न होता। इसलिए अग्नि का संतुलन जीवन और जगत् का संतुलन है। कोई व्यक्ति निराश-हताश बैठा है, तो निश्चित रूप से उसके भीतर का अग्नि-तत्त्व कमज़ोर होगा। उसे कोई ऊर्जा देने वाला, प्रेरणा देने वाला शिक्षक मिल जाए, तो उसका अग्नि-तत्त्व फिर से जागृत हो जाएगा। ऊर्जा जागृत हो जाएगी, विश्वास जागृत हो जाएगा। वह फिर ऊर्जा से भरकर कार्य करना प्रारंभ कर देगा। लोग सूर्य नमस्कार करते हैं । सूर्य नमस्कार क्या है ? सूर्य के सामने योगाभ्यास करते हुए सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने का तरीका। सुबह-सुबह सूर्य के सामने 86 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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