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________________ भला न काठ का। चंदन की तो एक चुटकी हर तरफ खुशबू कर देगी । काठ से भरा गाडा भी हो, तो कोई फायदा नहीं । चातुर तो इक ही भला, मूर्ख भले न साठ । बुद्धिमान तो दो जने ही पर्याप्त हैं । सुकरात के कोई हज़ारों शिष्य नहीं थे । दो-तीन शिष्यों ने ही उन्हें अमर कर दिया। एक ज्ञानी शिष्य भी गुरु को अमर कर देता है । अज्ञानी सौ शिष्य भी बेकार हैं । I संगत बुद्धिमान की करो, काम आएगी। सौ कौओं के बीच एक हंस पहुँच गया, तो कौए उसे डूबो देंगे। इसके विपरीत सौ हंसों के बीच एक कौआ पहुँच गया तो हंस उसे भी अपने जैसा बना लेंगे। इसलिए कहा है, संगत हमेशा बुद्धिमान आदमी की करो। उससे बातचीत करो, संवाद करो । 1 आज के बच्चे ज्यादा बुद्धिमान होते हैं क्योंकि वे जिज्ञासा व्यक्त करते रहते हैं जितनी जिज्ञासा, उतना ज्ञान । सवाल पर सवाल पूछते हैं, बच्चे । इसलिए उन्हें उनके जवाब भी मिलते हैं । वर्तमान युग की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि आज जिज्ञासाएँ बहुत हैं । जितनी जिज्ञासाएँ होंगी, ज्ञान और विज्ञान की सफलताओं के उतने ही द्वार खुलते चले जाएंगे। तात्कालिक बुद्धि हर किसी में नहीं होती। इस तरह की बुद्धि वाले जहाँ भी जाएँगे, लोगों की निगाहों में रहेंगे। लोगों का सम्मान पाएँगे। वे अपने साथ ही दूसरों के लिए भी स्वर्ग का निर्माण करेंगे। लार्ड माउंटबेटन अमरीकी नौसेना में भर्ती होने गए, तो सेनाध्यक्ष ने उनसे पूछा, 'आप पानी के जहाज को लेकर जाओगे और तूफान आ गया तो क्या करोगे ?' माउंटबेटन ने जवाब दिया, 'मैं तत्काल लंगर डाल दूँगा।' फिर पूछा गया, 'एक और तूफान आ गया तो ?' जवाब दिया, ‘मैं एक और लंगर डाल दूँगा ।' सेनाध्यक्ष ने उनके धैर्य की परीक्षा लेते हुए फिर पूछा, 'मान लो, एक और तूफान आ गया तो क्या करोगे ?' माउंटबेटन का जवाब फिर वही था, 'एक और लंगर डाल दूँगा ।' काफी देर सवाल होते रहे । आखिर सेनाध्यक्ष ने पूछा, भाई, 'तुम इतने लंगर कहाँ से लाओगे ?' I माउंटबेटन ने तत्काल जवाब दिया, 'जहाँ से आप इतने तूफान लाओगे.. । ' कहानी छोटी है, लेकिन संदेश बड़ा देती है। किसी भी परिस्थिति में क्या किया जाए, इसका तत्काल हल ढूँढ़ने वाला ही सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ सकता है । एक आदमी ने दो रुपए का दूध खरीदा। उसने देखा दूध में मक्खी गिरी थी। उसने दूकानदार से कहा, ‘दो रुपए के दूध में मक्खी ?' दूकानदार ने कहा, 'दो रुपए के दूध में 83 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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