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________________ क्योंकि ज्ञान के बिखरने का अर्थ है, हमारे जीवन के शुरुआती 25 साल का बिखर जाना। इंसान की बुद्धि चार प्रकार की होती है - पहली, घड़े में भरे जल के समान। सीमित बुद्धि वाले लोग घड़े में भरे पानी के समान होते हैं । घड़े में आखिर कितना पानी आ सकता है, जितनी उसकी क्षमता है। दूसरी होती है, कुएँ के जल-सी बुद्धि । कुएँ में से पानी निकलता रहता है, फिर भी वापस आता रहता है। बुद्धि खर्च होती रहती है, लेकिन नया ज्ञान आता रहता है। यह हुई कल्याणकारी बुद्धि। तीसरी बुद्धि होती है, तालाब के जल जैसी। तालाब का जल परोपकार के काम आता है। स्वयं का भला करता है और दूसरों के भी काम आता है । चौथी बुद्धि होती है, समुद्र के जल की भाँति। आपने देखा होगा, समुद्र में अथाह जल होता है, उसकी कोई थाह नहीं ले सकता। ___ दुनिया में ऐसे भी ज्ञानी हुए कि उनके नजदीक तक कोई नहीं पहुंच पाया। आइंस्टीन, मैक्समूलर, ओशो, श्री अरविन्द । इन लोगों के पास ज्ञान का खजाना था।देश के राष्ट्रपति रह चुके अब्दुल कलाम के बारे में सभी जानते हैं । ऐसे ज्ञानियों के पास कोई समस्या लेकर जाओ, तो तत्काल उसका निपटारा कर देते थे। किसी समस्या के कई आयाम समझा देते थे। इसे यूँ भी समझा जा सकता है, पहली बुद्धि, कर्तव्य बुद्धि । ऐसे लोग कर्त्तव्य से कभी विचलित नहीं होते। दूसरी बुद्धि सफल बुद्धि, ये लोग हमेशा कामयाबी पाने के रास्ते ढूँढ़ते रहते हैं। अपनी बुद्धि को तराश कर पैना करते रहते हैं। तीसरी होती है सेवाभावी बुद्धि। ये लोग हमेशा दूसरों का कल्याण करने में लगे रहते हैं; और चौथी बुद्धि होती है, स्वार्थ बुद्धि । इस बुद्धि के मालिक सिर्फ अपने कल्याण की सोचते हैं । मैं और मेरा, बाकी क्या लागे है तेरा। इस तरह के लोगों को दूसरों से कोई लेना-देना नहीं होता। उन्हें न तो किसी के प्रति कर्त्तव्य दिखाना होता है, और न ही वे किसी की सेवा करने की चाह रखते हैं। इसलिए कहा गया है, हम सब को बुद्धि की उपासना बड़े मनोयोग से करनी चाहिए क्योंकि अग्नि देवता बुद्धि रूपी गुफा में निवास करते हैं । बुद्धि से ही कैरियर का निर्माण होता है। बुद्धि से ही जीवन का निर्माण होता है। बुद्धि से ही सारे रिश्ते-नाते बनते हैं। बुद्धि से ही इंसान सम्पत्ति कमाने योग्य बनता है। एक कहावत सभी जानते हैं, अक्ल बड़ी या भैंस । देखने में भैंस ही बड़ी दिखती है, लेकिन बुद्धि सूक्षम रूप होते हुए भी बड़ी होती है। राजा तो केवल अपने क्षेत्र में ही पूजा जाता है, लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति की पूछ हर क्षेत्र में होती है। वह सर्वत्र यश प्राप्त करेगा। चंदन की तो चुटकी ही भली, गाडा 82 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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