________________
कहानी पुरानी है, लेकिन हर युग में प्रासंगिक है। कोई भी महिला यह न सोचे कि उनके पति उनके पीछे पागल बने हुए हैं। कोई भी पति अपनी पत्नी के पीछे पागल नहीं होता। हर इंसान की कोई-न-कोई मजबूरी होती होगी जिसके कारण वह पत्नी को निभाता होगा। पत्नी के कहने पर माँ-बाप को छोड़ देना, यह इंसान की कृतघ्नता है
और किसी श्रवणकुमार की तरह माँ-बाप की सेवा को अपना सौभाग्य मानना व्यक्ति की कृतज्ञता है।
नचिकेता ने यमराज से कहा, 'मुझे यही वरदान दीजिए कि मेरे माता-पिता मुझ पर प्रसन्न हो जाएँ। जरा सोचें, हमें अपने माँ-बाप और पति-पत्नी में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाए, तो हम किसको चुनना पसंद करेंगे?' इसका जवाब ही आपकी कृतज्ञता और कृतघ्नता बता देगी।
भले ही कोई कहता हो कि धर्म की शुरुआत मंदिर से होती है, जबकि धर्म की असली शुरुआत व्यक्ति के अपने घर से हुआ करती है। घर इंसान का पहला मंदिर है। ईश्वर के नाम पर बनाए गए मंदिर तो नंबर दो पर हैं । पहला मंदिर खुद का घर हो और दूसरा मंदिर भगवान का दर हो।
एक महानुभाव हुए हैं - ईश्वरचन्द्र विद्यासागर। वे कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीश हुआ करते थे। उन दिनों कलकत्ता में गवर्नर सबसे बड़ा पद हुआ करता था। एक बार गवर्नर ने ईश्वरचन्द्र विद्यासागर से कहा, 'आप विदेश पढ़ने जाएँ, अपने ज्ञान का विस्तार करते हुए कुछ और डिग्रियाँ ले आएँ।' ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने अगले दिन गवर्नर को बताया कि वे विदेश नहीं जा सकते क्योंकि उनकी माँ ने उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी है।
गवर्नर ने कहा, 'मैं आपको आदेश देता हूँ, आप विदेश जाएँ।' विद्यासागर विचार में पड़ गए। कुछ देर बाद फिर गवर्नर ने उनसे पूछा, 'मैंने आपको जो कुछ कहा, आपने सुना नहीं क्या?' विद्यासागर ने जवाब दिया, 'सुन तो लिया सर, पर मैं सॉरी निवेदन करता हूँ। मेरे सामने दो विकल्प हैं। एक तरफ आपका आदेश है, दूसरी तरफ माँ का। जब दो में से किसी एक के आदेश की मुझे पालना करनी है, तो फिर मेरे लिए यही उचित है कि मैं अपनी माँ की आज्ञा का पालन करूँ।'
यह है, वह तरीका, जो हमें हमारे माता-पिता के आशीर्वाद के योग्य बनाता है। सभी को अपने माता-पिता की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए। माँ-बाप के आशीष लेने चाहिए। माँ-बाप के दिल को दुख पहुँचा कर कभी कोई सुखी नहीं रह पाया, फल-फूल नहीं पाया। सास-ससुर हों या माँ-बाप, हम उनका आशीर्वाद नहीं ले पाए,
78
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org