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________________ बारात लेकर जाएँ, तो लड़की वाले से आतिथ्य-सत्कार ज़रूर करवाएँ, पर ज़रुरत पड़ जाए, तो खुद भी काम में हाथ बँटाने से पीछे न रहें। अतिथि को उतना ही लेना चाहिए जितना वह खुद दूसरों को देने की क्षमता रखे। ऐसा नहीं कि मैं खुद तो अतिथि बनकर जाऊँ और मेजबान से खूब अपेक्षा रखू लेकिन कोई मेरे यहाँ आए तो मैं उसका सत्कार न करूँ। बहुत से लोग किसी के यहाँ मेहमान बनकर जाते हैं तो वहाँ से वापसी का टिकिट बनवाने का जिम्मा भी मेजबान पर छोड़ देते हैं। बेचारा मेजबान संकोच में मारे जवाब नहीं देता; टिकिट बनवा कर ले आता है । तब उस व्यक्ति का भी दायित्व बनता है कि वह मेजबान कभी उसके यहाँ आए, तो उसका वैसा ही सत्कार किया जाए। यमराज ने यमी की बात मानते हुए घर आए अतिथि का, नचिकेता का आदर के साथ सत्कार किया।सत्कार के बाद क्या होता है । यमराज नचिकेता को क्या देना चाहते हैं, नचिकेता उनसे क्या पाना चाहते हैं ? उनके बीच क्या संवाद होता है? यह आप आगे पढ़ेंगे। 73 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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