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आप चाहें जंवाई के रूप में मेहमान बनें या किसी मित्र के रूप में, उस घर के लिए मददगार अवश्य बनें । हुमायूं जैसों ने तो अगर किसी एक झोपड़े में भी रात भर का बसेरा पा लिया था, तो उस झोपड़े को बाद में उसने झोपड़ा न रहने दिया; उसे भी मार्बल का महल बना दिया था। खिलाने वाला तो खिलाकर खुश हो जाएगा, पर हम किसी के घर जाकर तभी खाएँ जब हम उस खाए गए नमक का ऋण वापस किसी न किसी रूप में चुकता कर सकें।
दुनिया में दो किस्म के लोग होते हैं - कुछ खाकर खुश होते हैं और कुछ खिलाकर। कुछ देकर खुश होते हैं और कुछ लेकर । जो देकर खुश होते हैं, वे अगले जन्म में सम्राट हो जाते हैं । जो लेकर खुश होते हैं, वे इस जन्म में भले ही भिखारी न हो, पर अगले जन्म के लिए तो उन्होंने व्यवस्था कर ही ली है। इसीलिए तो जब कोई भिखारी हमारे यहाँ भीख माँगने आता है, तो भले ही हमें क्यों न लगता हो कि यह माँगने आया है, पर हकीकत में वह माँगता कम है, अपनी दयनीय दशा दिखाकर हमें बहुत-कुछ दे जाता है। हम जो देते हैं, वह तो कौड़ी दो कौड़ी का होता है, पर वह जो देकर जाता है, वह करोड़ों का होता है। भिखारी हमें पैसा तो नहीं देता, पर जीवन की यह सीख ज़रूर दे जाता है कि बंदे, मैंने कुछ न दिया सो मेरी यह हालत है; सोच लो, अगर तुमने भी कुछ न दिया, तो तुम्हारी भी वही हालत होने वाली है, जो आज मेरी है।
ऐसा हुआ, एक इंसान जन्म-जन्मांतर का दरिद्र था। भीख मांगकर गुजारा करता। हाँ, उसकी एक ज़रूर ख़ास आदत थी कि वह जब भी भीख माँगने के लिए घर से निकलता, भगवानजी को याद करके ही निकला करता था। एक दिन भगवानजी ने सोचा कि यह बेचारा रोज मुझे याद करता है, तो चलो आज इसकी गरीबी दूर कर देता हूँ। आज जैसे ही भिखारी भीख माँगने के लिए निकला और कुछ दूर ही चला होगा कि तभी उसे सामने से एक चमचमाता हुआ रथ आता दिखाई दिया। उसे लगा, ज़रूर यह रथ राजा का होगा। उसने मन में ठान लिया कि आज वह राजा से ही भीख माँगेगा। राजा से कहेगा कि प्रभु, आज इतना दे दो कि फिर कभी किसी से माँगने की ज़रूरत ही न रहे। __ मिलेगा भी तो उतना ही न जितना हम अपनी ओर से किसी की झोली में डालेंगे। बीजों को अगर बोया ही नहीं, तो धरती लौटाएगी कैसे? भिखारी जैसे ही आगे बढ़ा कि अचानक वह रथ भिखारी के पास आकर रुक गया। रथ में से दिव्य आभा लिये हुए एक व्यक्ति उतर कर आए और नीचे उतरते ही उसने भिखारी के सामने अपना हाथ फैलाया और कहा, भाई, जो तुम्हें देना हो, मुझे दे दो।'
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