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________________ जाए। यमी की बातें यमराज के समझ में आ गईं। वे तत्काल यमलोक के द्वार पर प्रस्तुत हुए। यमराज ने ब्राह्मण के पाँव धोए। नचिकेता प्रसन्न हो गए। तीन दिन से यमराज का इंतज़ार करते जो उनका मन ख़राब हो रहा था. वह बदल गया। वह सोचने लगे. यमराज के बारे में लोग अच्छे विचार नहीं रखते, लेकिन ये तो बहुत ही सज्जन हैं। देखो तो सही, पाद-प्रक्षालन के लिए कितनी विनम्रता से हाथ में गंगा-जल का कलश लिये चले आ रहे हैं। ___ यमराज की विनम्रता ने उनकी पहले से बनी हुई छवि को तोड़ा। यमराज अकड़ते तो रूप अलग होता, लेकिन वे विनम्रता से प्रस्तुत हुए। अतिथि का स्वागत इसी तरह किया जाता है। तभी दोनों के बीच आत्मीयता का संबंध बनता है। तब घर आया अतिथि आशीर्वाद ही देकर जाएगा। अतिथियों के आशीर्वाद से तो नवग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं। दुर्वासा भले ही क्रोध के अवतार कहे जाते हों, पर अगर उनकी भी दिल से सेवा की जाए, आतिथ्य-सत्कार से उन्हें ख़ुश किया जाए, तो वे भी ऐसा आशीर्वाद और दिव्य मंत्र दे जाते हैं कि कुंती पाँच महान पुत्रों की माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त कर लेती है। तो क्या आप समझे कि आतिथ्य सत्कार क्यों किया जाना चाहिए, उसके क्या फ़ायदे होते हैं ? फ़ायदा समझा तभी तो यमराज ने नचिकेता का इस तरह स्वागतसत्कार किया। यदि यमराज नचिकेता के सामने हाथ में मृत्युदंड लेकर आते, तो नचिकेता की तो घिग्घी बँध जाती, पर हाथ में गंगा-जल और पूजा का अर्घ्य लेकर आए हैं, तो नचिकेता उत्साह और विश्वास से भर उठा। उसे लगा, अब मृत्युदेव से डरने की ज़रूरत नहीं है। अब तो मृत्यु से मुलाकात का आनन्द ही कुछ और होगा। कुछ रहस्य खुलेंगे, कुछ उपलब्धियाँ होंगी, कुछ गीत रचेंगे, कोई गीता जन्म लेगी, कोई रामायण फिर से पैदा होगी, कोई वेद फिर से अंकुरित होगा, कोई अर्जुन फिर से कृष्ण का आह्वान करेगा। देखते हैं, कठोपनिषद् में अब कौन-से धुंघरू बजते हैं, कौन-सी वीणा के तार झनझनाते हैं, कौन-सी बाँसुरी की स्वर लहरियाँ अपने लोगों के बीच बिखरती हैं ? यह हम आने वाले पृष्ठों में देखेंगे। 65 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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