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________________ अदब से अपने पति से कही। हर पत्नी का दायित्व है कि वह अपने पति के प्रति सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करे । आप यदि अपने पति के साथ शाहजहाँ की तरह व्यवहार करेंगी, तो वे भी आपको मुमताज महल से कम इज्ज़त नहीं देंगे। जिंदगी का तो सौदा ही यही है कि इज्ज़त दो, इज्ज़त लो । आजकल तो ज़माना ही बदल गया है। औरतें अपने पति को तुम कह कर बुलाने लगी हैं। इसमें दोष पुरुषों का भी है, वे भी तो पत्नी को तुम से संबोधित करते हैं । जैसा दोगे, वैसा ही पाओगे। एक-दूसरे की गलती का खामियाजा दोनों को भुगतना पड़ रहा है। अब वो राम-सीता का ज़माना गया। अब तो दोनों एक-दूसरे को आँख दिखाते रहते हैं । जीवन को अगर स्वर्ग बनाना है, तो पति-पत्नी ऐसे बन जाएँ कि जैसे दूध में मिश्री घुली हो । पत्नी अगर पति को पूरा प्यार और सम्मान देती रहेगी, तो यह मुमकिन ही नहीं है कि पति किसी दूसरी की तरफ झाँके भी । हम पति के गौरव का ध्यान नहीं रखते, जबतब उसकी उपेक्षा कर देते हैं, इसीलिए तो वह कटने लगता है, घर छोड़कर बाहर सुख ढूँढ़ने लगता है। बाकी, मार्क ट्वेन अपनी पत्नी की याद में कहा करते थे, मेरा स्वर्ग वहीं था जहाँ मेरी पत्नी थी। टालस्टाय से पूछा, तो वे कहने लगे कि मेरी बीमारी की खबर मेरी पत्नी को मत देना, नहीं तो वह मुझे शांति से मरने भी नहीं देगी। अगर आप चाहते हैं कि जीवन की हर घड़ी में आपकी याद बनी रहे, तो एक-दूसरे को प्यार और इज्ज़त देने में रत्ती भर भी कंजूसी न करें । पति चाहता है कि पत्नी उसे सम्मानजनक तरीके से बुलाए, तो पति को भी उसी सम्मान से पत्नी को बुलाना होगा। अगर आप पति हैं, तो पत्नी को सम्मान देना शुरू करें और यदि आप पत्नी हैं, तो पति को सम्मान देना शुरू करें। अच्छा कार्य शुरू करने के लिए न तो ज्यादा सोचना चाहिए और न ही मुहूर्त तलाशना चाहिए। अच्छा कार्य करने की जैसे ही समझ आई, हमें उसी क्षण उसे शुरू कर देना चाहिए। संसार का सबसे अच्छा मुहूर्त वही है जिस क्षण जो कार्य करने की अंतप्रेरणा जग जाए। जो चीज हाथोंहाथ लागू नहीं हो पाती, वह केवल मंसूबा बन कर रह जाती है और मंसूबों में तो मारवाड़ कब से डूबा पड़ा है । बहिनों, आप तो मेरा कहना मानेंगी। आप लोग तो धर्म और संस्कारों को धारण करने वाली हैं, आपको यह शुरुआत करनी चाहिए कि पति को 'आप' कहकर बुलाएँ । आप अपने पति को यह तो कह नहीं सकतीं कि वे आपको 'आप' कहें, लेकिन आप इतना अवश्य कर सकती हैं कि घर के सभी सदस्यों, यहाँ तक कि काम करने वाली नौकरानी को भी 'आप' कहकर बुलाएँ । यह देखकर पति भी पत्नी को 'आप' कहने को मजबूर हो 'जाएगा। आखिर खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता ही है । आप 57 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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