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किसी तरह तीन दिन बीते। तीसरे दिन यमराज अन्य लोकों की यात्रा से लौटकर आए । यमी ने उनसे न तो कुशल-क्षेम पूछी और न ही उन्हें आराम करने को कहा । देव आपकी यात्रा कैसी रही, इस तरह के सवालों के लिए उनके पास समय ही कहाँ था । पति की चिंता 'कहीं अधिक उन्हें इस बात की चिंता थी कि एक ब्राह्मण तीन दिन से उनके द्वार पर भूखा-प्यासा खड़ा था। उसे लग रहा था कि उस पर पाप चढ़ रहा है। पति से कुशल-क्षेम पूछने की बजाय वह सीधे कहने लगी, 'भगवन्, आप पधारे, आपका स्वागत है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि एक ब्राह्मण आपके द्वार पर पिछले तीन दिन से भूखा-प्यासा खड़ा आपसे मिलने का इंतज़ार कर रहा है। वह सशरीर यमलोक आया है । कहता है, वह अपने पिता द्वारा आपको दान में दिया गया है। आप सबसे पहले उसे भीतर लाइए । '
कठोपनिषद् में आने वाले आत्म-संवादों में यह बात उभरती है कि यमी अपने पति यमराज से कहती है कि हे सूर्य पुत्र, आप स्वयं ब्राह्मण देवता को भीतर लेकर आइए क्योंकि ब्राह्मण के रूप में साक्षात् अग्नि ही घर में प्रवेश करती है । आप स्वयं अग्नि-विद्या के ज्ञाता हैं, सूर्य - पुत्र हैं। साधु - हृदय गृहस्थ अपने कल्याण के लिए उस अतिथि रूपी अग्नि को शांत करने के लिए पाद- अर्घ्य आदि से उसका पूजन करते हैं । इसलिए आप उस ब्राह्मण के पाँव धोने के लिए तुरन्त जल ले आइए। यह बालक तीन दिन से आपके इंतज़ार में भूखा-प्यासा है। आपके द्वारा उसका पूजन किए जाने पर ही उसे संतोष मिलेगा ।
यमी फिर कहती है, 'हे सूर्य पुत्र, जिसके घर में ब्राह्मण - अतिथि बिना भोजन किए रहता है, उस मन्दबुद्धि पुरुष की आशा और प्रतीक्षा, उनकी पूर्ति से होने वाले सब प्रकार के सुख, सुन्दर वाणी से मिलने वाले सभी प्रकार के फल एवं यज्ञ तथा पूर्व जन्मों कि शुभ कर्मों के फल तथा समस्त पुत्र और पशु नष्ट हो जाते हैं । '
यमी ने कहने को तो पति से यह कह दिया लेकिन आखिर यमराज तो यमराज हैं। जिस यमराज को देखकर ही किसी का कलेजा काँप जाए, जिसे साक्षात् काल कहते हैं, जिसका नाम सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे काले भैंसे पर सवार होकर बहुत डरावने स्वरूप में सामने आते हैं, ऐसे यमराज को जब उनकी पत्नी ने इस तरह के वाक्य कहे, तो मृत्यु के देवता कहलाने वाले यमराज भी सोच में पड़ गए। हिटलर दुनिया का बहुत बड़ा आततायी था लेकिन अपनी पत्नी के सामने संभवत: वह भी झुक जाया करता होगा । कोई डीआईजी, एसपी सड़क पर भले ही हंटर फटकार ले, लेकिन घर पर अपनी पत्नी के सामने विनम्र हो ही जाता होगा ।
ऐसे ही यमराज को उनकी पत्नी यमी ने कहा, 'हे सूर्य - पुत्र, घर आए अतिथि को भीतर लाएँ, उनका स्वागत-सत्कार करें ।' यमी ने अपनी बात बहुत सम्मान से, बड़े
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