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________________ कहते हैं, एक बार रूसी सैनिकों ने लड़ाई में जापान के एक महत्त्वपूर्ण किले पर कब्जा कर लिया। इस किले के चारों तरफ गहरी खाई थी। इस खाई में मगरमच्छ छोड़े हुए थे। इस किले को ज़मीन से जोड़ने के लिए दो सेतु बने थे। रूसी सैनिकों ने किले पर कब्जा करने के बाद दोनों सेतु तोड़ दिए। रूसी सैनिक किले के भीतर जीत के जश्न में डूबे हुए थे। इधर जापानी सेना के बचे-खुचे सैनिक फिर से एकत्र हुए। उनके सेनानायक ने सैनिकों से पूछा कि जो देश के लिए कुर्बानी देने को तैयार हैं, वे सामने आ जाएँ। सभी आगे आ गए। सेनानायक ने कहा, 'इस खाई में कूद जाओ, जो मगरमच्छों से बच जाए वह किले में प्रवेश कर जाए।' इतना कहना था कि सैनिक एक-एक कर खाई में कूदने लगे। कुछ को मगरमच्छों ने अपना शिकार बना लिया, लेकिन बहुत से सैनिक किले तक पहुँचने में सफल हो गए। भीतर जश्न में डूबे रूसी सैनिक कुछ समझ भी न पाए थे कि जापानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया और आत्म-समर्पण के लिए मजबूर कर दिया। किले पर फिर से जापान का कब्जा हो गया। रूसी सैनिकों को आत्म-समर्पण करना पड़ा। कुछ सैनिकों की कुर्बानी के बल पर जापानी फिर से अपना किला फ़तह करने में सफल रहे। __ कुर्बानी पहला सूत्र है; इसीलिए दधीचि ने कर्बानी दी। महात्मा गाँधी. भगतसिंह. चन्द्रशेखर आज़ाद, सुभाषचन्द्र बोस ने भी कुर्बानी दी। तभी तो आज हम आज़ादी की फ़िज़ा में साँस ले रहे हैं । गोली खाने वाला ही तो देश को आज़ादी का शगुन दे सकता है। इसीलिए तो फिर कोई गाँधी पैदा नहीं हुआ, किसी माँ ने भगतसिंह को जन्म नहीं दिया क्योंकि लोग गोली खाना नहीं चाहते। अब शहीद नहीं, अब तो नेता पैदा होते हैं जो डंडे खाना नहीं, लोगों पर डंडे चलाना जानते हैं। नचिकेता ने खुद को कुर्बानी के लिए प्रस्तुत किया, तो आज उनके बारे में सभी जानते हैं । उनका नाम आदर से लिया जाता है। नचिकेता ने पिता के मुँह से निकले शब्दों को अपने लिए आदेश माना और निकल पड़े यमराज से मिलने । यद्यपि बाद में पिता ने ज़रूर सोचा होगा कि वे पुत्र को ऐसा कैसे कह पाए, लेकिन जुबान से निकले शब्दों को लौटाया नहीं जा सकता। कुर्बानी की राह पर नचिकेता रवाना हो गए। जंगल में कुछ पल विचार-चिंतन के बाद वे सशरीर यमलोक पहुँचे। वहाँ उनकी यमराज से तीन दिन बाद मुलाकात होती है। वे तीन दिन यमलोक के द्वार पर भूखे-प्यासे खड़े रहे। अब देखते हैं, क्या रंग लाती है नचिकेता की मृत्यु-से-मुलाकात। मृत्यु से, यम से उनका क्या संवाद होता है, यह आगे देखेंगे। 45 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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