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________________ - 4 मृत्यु से मुलाकात यह संसार किसी वृक्ष की भाँति है। इस वृक्ष पर दो तरह के प्राणी आया करते हैं। एक तो बंदर, जो वृक्षों पर उछल-कूद करते रहते हैं; फलों को, डालियों को तहस-नहस करते रहते हैं। दूसरे पंछी, जो इस संसार के वृक्ष पर आते हैं, गुनगुनाते हैं, संगीत की स्वर-लहरियाँ बिखरेते हैं, पंख फड़फड़ाते हैं और मौका मिलते ही उड़ जाया करते हैं। बंदर तो जीवनभर उछल-कूद ही करते रहते हैं लेकिन पंछी अवसर की तलाश में रहते हैं। जैसे ही अवसर मिलता है, वे उड़ान भर जाते हैं। मुक्त आसमान में उड़ान। डजन लोगों को लगता है कि वे किसी मुक्ति-पथ के राही हैं, उन्हें तो यह विचार कर ही लेना होगा कि वे बंदर की भाँति उछल-कूद कर जीवन बिताना चाहते हैं या किसी पंछी की भाँति गीत गुनगुनाकर । बंदर की तरह जीना है, तो इंसान बंदर है ही। यदि पंछी बनना है तो आइए मेरे साथ, मैं आपके पंख लगा देता हूँ। फिर हम सब मुक्ति के आकाश की ओर बढ़ सकेंगे, बंधन के गलियारों से निकल सकेंगे। मुक्त विचरण करेंगे, नीड़ बनाएँगे। फल भी खाएँगे और समय आने पर उड़ भी जाएँगे। यह आनन्द तभी मिल पाएगा, जब हम खुद को मुक्ति के पंख लगाने के लिए तत्पर होंगे। मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूँ कि उसने मुझे पंख लगाए। कोई भी चाहे तो मेरे पास आए, पंख लगवाए और संसार में रहकर भी पंछी की तरह उन्मुक्त उड़ान भरे । पंख लग जाएँ, तो कोई भी आसमान में उड़ सकता है । इस उड़ान को समझना आसान नहीं है। किसी को बात समझ में आती है, किसी को नहीं आती। जिन्हें बात समझ में नहीं आती, वे मात्र बंदर की तरह उछल-कूद करते अपना जीवन बिता देते हैं। जिन्हें बात समझ में आ जाती है, वे कबूतर की भाँति शांतिदूत बन जाया करते हैं। 46 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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