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________________ भी भगवान का नूर देख लेंगे, चिड़ियों की चहचहाट में भी कुरआन की आयतों का आनन्द ले लेंगे। कबूतरों की गुटर-गूं में भी उपनिषदों के मंत्र सुन लेंगे। कठोपनिषद् ऐसे लोगों के लिए उपयोगी शास्त्र है, आत्म-विद्या और ब्रह्म-विद्या का शास्त्र है। जिन लोगों के भीतर आध्यात्मिक उत्कंठा, मुमुक्षा और प्यास है, उनके लिए कठोपनिषद् की बातें अध्यात्म की कुंजी का काम कर सकती हैं। यह एक ऐसा शास्त्र है जो हमारी यमराज से मुलाकात करवाता है; इंसान को उसकी मृत्यु से मिलवाता है। जिस व्यक्ति को अपने शरीर को बचाने की तमन्ना है, मोह है, वह कठोपनिषद् को समझने का प्रयास न करे। वह गीता की शरण में जाए, उसमें से जीवन जीने की कला सीखे। जिसको आध्यात्मिक उन्नति चाहिए, वह कठोपनिषद् जैसे महान उपनिषद् की शरण में आए। कठोपनिषद् ऐसा शरणदाता है, जो अपने द्वार पर आने वाले हर किसी प्राणी को तार दिया करता है। कठोपनिषद् कठिन है, पर हम अपनी विनम्र और जिज्ञासु बुद्धि से इसे समझने का प्रयास करेंगे। ईश्वर हमारी इसमें मदद करे। ईश्वर हम सब लोगों की रक्षा करे। हम सबको शक्ति की प्राप्ति हो। हम लोग कभी आपस में द्वेष न करें। एक-दूसरे से प्रेम करें, मोहब्बत करें। एक-दूसरे को गले लगाएँ। 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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