________________ मृत्यु से मुलाकात जीवन की पूरी मुलाकात केवन जीवन के तन पर नहीं होती। पूरी मुलाकात के लिए हमें मृत्यु से भी मुनाकात करनी होगी। मृत्यु जीवन का उपसंहार है। लोग मृत्यु का नाम सुनते ही घबराते हैं। कठोपनिषद साफ तौर पर मृत्यु से मुलाकात है। मृत्युसे अगर एक बार सही तौर पर मुलाकात हो जाए तो ओष बचे जीवन को जीने का मजा ही कुछ और होगा। तब हम मृण्मय को नहीं, चिन्मय को निएंगे। मिट्टी को नहीं फूलों को और फूलों की सुवास को जिएंगे। श्री चन्द्रप्रभा 9473E ISBN10:81-223-1227-6 ISBN 978-81-223-1227-0 पुस्तकमहल Rs100/ दिल्ली * मुंबई -बेंगलुरू * पटना * हैदराबाद 97881223122701 www.pustakmahal.com Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org