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________________ विश्वास है कि हमारे भीतर निश्चित रूप से मृत्यु का ख़ौफ कुछ सीमा तक कम हुआ ही होगा। हमारे भीतर निडरता बढ़ी होगी। अब मौत से बचने या डरने की कोई जरूरत नहीं रही होगी। मृत्युदेव के संदेश पाकर हम इतना साहस तो अपने भीतर पैदा कर ही पाएँ होंगे कि अब मिटना पड़े तो तैयार हैं, खुद को मिटाना पड़े तो भी तैयार हैं। अब हम भयभीत नहीं, आत्म-विश्वासी जीवन के मालिक बनेंगे। सबके साथ रहेंगे, हँसेंगे, खिलेंगे, पर अनासक्त जीवन जीएँगे। निश्चित तौर पर कठोपनिषद् में मृत्युदेव के उपदेश हमारे भीतर उतरे होंगे। ये वे उपदेश हैं, जो केवल सुनकर दूसरे कान से नहीं निकल पाए। उपदेश वे महान् नहीं होते जिन्हें सुनकर लोग हमारी तारीफ़ करें; उपदेश तो वही सार्थक होते हैं, जो मनुष्य को भीतर से बदल दें, जिन्हें सुनने के बाद व्यक्ति सोचने के लिए मजबूर हो जाए। कठोपनिषद् एक महान् रहस्यमय शास्त्र है। मैंने भी इसे पिया है। इसने केवल आपको ही नहीं, मुझे भी आनंद दिया है। ऐसे शास्त्र या ऐसी किताबें कम मिलती हैं। इस आध्यात्मिक किताब के जरिए एक-दो समाधान तो मेरे भी हुए हैं। इसलिए मैं भी कठोपनिषद् का आभारी हूँ। हालाँकि कठोपनिषद् शब्द को सुनकर लगता है कि यह कोई कठिन उपनिषद् होगा, पर यह वास्तव में कठिन नहीं, आनंददायी शास्त्र है, अध्यात्म का शास्त्र है। यह शास्त्र सबका कल्याण करे, अध्यात्म-प्रेमियों के लिए अमृत का काम करे - यही शुभकामना है। 224 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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