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________________ अखण्ड है । ॐ अनन्त ऊर्जा का केन्द्र है । इसमें अरिहंतों का अ है, उपाध्यायों का उ और मुनियों का म समाहित है । अरिहंत, उपाध्याय, मुनि - इन सबकी वंदना नवकार मंत्र में हो जाती है। नवकार मंत्र का पहला पद ॐ से ही जुड़ा है। नवकार मंत्र में पाँच पद हैं। णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवच्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं। ॐ नमः कहते ही पाँचों पदों की वंदना अपने-आप हो जाती है; ब्रह्मा, विष्णु, महेश की उपासना हो जाती है । यमराज कठोपनिषद् में कह रहे हैं कि जो ॐ का उच्चारण जिस भाव से करेगा, यह शब्द उसे वैसा ही परिणाम देगा। अगर आप नवकार मंत्र के साधक हैं, तो ॐ नमः कहें; आपको पंच परमेष्ठि की साधना का फल मिल जाएगा। बौद्ध धर्म जहाँ तक फैला, ॐ वहाँ भी पहुँच गया । तिब्बती मंत्र में कहा गया है - ॐ मणिपद्मे हुम् । विज्ञान में तत्त्व तीन होते हैं - इलेक्ट्रान, प्रोटोन व न्यूट्रान । महावीर ने तीन दर्शन दिए - सम्यक् ज्ञान, सम्यक्दर्शन व सम्यक्चरित्र । गीता ने तीन संदेश दिए - श्रद्धा, ज्ञान और भक्ति । बुद्ध ने तीन बातें बताईं - शील, प्रज्ञा और समाधि । ॐ तीन शब्दों को मिलाकर बना है, अ ऊ म । किसी मटके को रखना है, तो तीन पांव वाली तिपाही चाहिए। ॐकार भी ऐसी ही तिपाही पर टिका है। I धर्म सरल होना चाहिए और ठीक उसी तरह मंत्र भी सरल होना चाहिए। इसलिए ॐ में तीन अक्षर जुड़े हैं । ॐ आचरण पर भी जोर देता है। ऐसा आचरण जो ज्ञानमूलक हो, धर्ममूलक हो। जिस आचरण के पीछे ज्ञान की प्रेरणा होती है, उसे निदिध्यासन कहते हैं । ॐ के आकार का लॉकेट गले में डाल लोगे, तो यह आपके लिए रक्षा कवच बन जाएगा। ॐकार ताबीज़ पहन लो, तो दुश्मन की ताकत आपसे आधी हो जाएगी और आपकी उस पर विजय निश्चित है। आपने तो ॐकार का ताबीज़ पहन लिया यानी आपने अपने आपको प्रभु को सौंप दिया, अब प्रभु जाने । प्रभु को सौंपना तो पड़ेगा । I गुरु-शिष्य जंगल से जा रहे थे। रास्ते में शेर मिल गया। शिष्य तो बलवान था, तत्काल पेड़ पर चढ़ गया और गुरु से भी कहा कि वे किसी पेड़ पर चढ़ जाएँ । गुरु वृद्ध थे; पेड़ पर नहीं चढ़ पाए। गुरु उसी पेड़ के नीचे बैठ गए और आँखें बंद कर समाधि लगा ली। शेर उनके समीप आया। कुछ देर उन्हें सूंघता रहा। फिर जिधर से आया था, उधर ही लौट गया । चेला नीचे आया और गुरु के चरणों में गिर पड़ा। आखिर गुरु ने उसे चमत्कार दिखा दिया था। दोनों आगे बढ़े। कुछ देर बाद रात हो गई। दोनों एक साफ स्थान देखकर सो गए। रात्रि में दोनों को मच्छर काटने लगे। गुरु परेशान होने लगे । चेले ने उनकी परेशानी देखी तो कहने लगा, 'आपने तो शेर को भी भगा दिया, ये मच्छर क्या चीज हैं ?' गुरु ने कहा, 'बेटे, तब में प्रभु की शरण में था; अभी तेरे पास हूँ । मच्छरों को Jain Education International 183 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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