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गुरु ने उस शिष्य से कहा अपने उत्तर का खुलासा करो वत्स । शिष्य ने कहा - मुझे लगता है मूल्य किसी वस्तु का नहीं होता, बल्कि उसमें रहने वाली संभावनाओं का हुआ करता है । चाँदी तो हमेशा चाँदी ही बनी रहेगी, लेकिन लोहा यदि किसी पारस का स्पर्श पा गया, तो वही सोना बन सकता है। गुरु ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा, तुम्हें धन्य है वत्स, मैं यही उत्तर चाहता था ।
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सही है कि किसी वस्तु या प्राणी का मूल्य नहीं होता, उसमें रहने वाली संभावनाओं का मूल्य होता है। मित्रो ! याद रखो, हम अपने भीतर रहने वाली विशिष्ट संभावनाओं को पहचानते हैं, उन्हें तराशते हैं तो ज़िंदगी में हर किसी मंज़िल को, ऊँचाइयों को पा सकते हैं, कुछ-न-कुछ नया आविष्कार कर सकते हैं । लोहे में खास संभावनाएँ छिपी होती हैं । लोहा एक साधारण तत्त्व है और हम सब भी साधारण तत्त्व हैं, लेकिन इस साधारण तत्त्व में रहने वाली असाधारण संभावनाओं को तलाश लिया जाए, तो यह साधारण - सा शरीर असाधारण योग्यताओं का मालिक बन सकता है I
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ध्यान का मार्ग हमें साधारण से असाधारण की यात्रा पर ले जाता है, हमें असाधारण से जोड़ता है । साधारण तत्त्वों का ज्ञान चाहिए, तो दुनियाभर के स्कूल खुले हुए हैं, लेकिन यदि हमें किसी असाधारण तत्त्व का ज्ञान प्राप्त करना है, तो यमराज जैसे आत्म-योगी के पास जाना होगा। महावीर और बुद्ध जैसे किसी सत्पुरुष की शरण लेनी होगी। किसी सद्गुरु के पास जाना होगा, वहाँ पहुँचकर ही हम उनके दिव्य-ज्ञान और दिव्य उपदेश को ग्रहण कर असाधारण ज्ञान, असाधारण ऊर्जा, असाधारण चैतन्य विकास को उपलब्ध कर सकते हैं ।
हर साधारण में कुछ-न-कुछ असाधारण छिपा रहता है । सामान्य शरीर में असाधारण ज्योति की संभावनाएँ होती हैं। ज़रा सोचो, यह जो मिट्टी है, उसका सही इस्तेमाल करना आ जाए तो कोई मिट्टी तब मिट्टी नहीं रह जाती, तब उस मिट्टी से दीया बन जाया करता है । कोई भी बीज साधारण दिखाई देता है, लेकिन इन्हें विकसित करने का ज्ञान आ जाए, तो फिर यह बीज, बीज नहीं रहता, अपितु किसी आम्रवृक्ष को विकसित करने का आधार बन जाता है। जिसे लोक दुर्गन्ध कहते हैं, उसके उपयोग का तरीका आ जाए, तो वही गंदगी किसी फूल की खुशबू का आधार बन जाया करती है ।
इस दुनिया में जो भी महापुरुष हुए, वे भले ही साधारण रूप में जन्मे हों लेकिन उन्होंने अपने भीतर छिपी संभावनाओं को समझ लिया । यही कारण रहा कि वे साधारण से असाधारण हो गए। हम लोग भी अपने भीतर छिपी प्रतिभा को उजागर कर लें, तो साधारण से असाधारण होते देर न लगेगी। तब परिश्रम और
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