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________________ मस्त हो गया। कहने लगा - ऐ जिंदगी! अब तक तेरा स्वाद तो चखा। आज मौत का स्वाद भी चख लेंगे। सिकंदर फ़क़ीर की अलमस्ती को देखकर गैला हो गया। तब उसने माना कि भारत को जीतना फिर भी आसान हो सकता है, लेकिन यहाँ के संतों को जीतना कठिन है। आत्म-ज्ञानी ऐसे ही होते हैं। पंडित होना आसान है, लेकिन आत्म-योगी बनना कठिन है। व्यापारी बनना आसान है, लेकिन अपने भीतर के सत्य को उजागर कर योगी बनना उतना ही कठिन है। सब-कुछ तुम्हारे भीतर ही है। मंदिर-मस्ज़िद, काशी-कर्बला। बाहर के मंदिरों में जाकर पूजा बाद में करना। पहले दिल में बसे दिलवर की पूजा कर लो। अंततः हर किसी को वहाँ जाना है, जहाँ से आए हैं, जहाँ से जीवन की शुरुआत होती है, जिसके रहते हम जीवित हैं और जिसके निकल जाने से शव हो जाएँगे। लोग इस शरीर को श्मशान में ले जाकर जला आएँगे। इसलिए कुछ करें, सार्थक करें। सबकी अपनी उपयोगिता है लेकिन परिणाम तभी आएँगे, जब हमारे भीतर प्यास पैदा होगी कि मैं कौन हँ, कहाँ से आया हूँ, कहाँ जाऊँगा? क्या हमारी शुरुआत माँ-बाप से है और समापन श्मशान में ? या इसके अलावा भी हमारा कोई अस्तित्व है ? याद रखो, सचेतनता से जीने वाले आत्म-योगी हो जाते हैं । यह तो मस्ती का मार्ग है। जंगल में जोगी रहता है, न हँसता है न रोता है, दिल उसका कहीं न फँसता है, तनमन में चैन बरसता है। कुछ बातें स्वयं से मुलाकात करके ही समझी जा सकती हैं। मैं कोई ज्ञान नहीं दे रहा, मैं तो मात्र आपके भीतर प्यास की लौ जगा रहा हूँ। एक बार भीतर की बाती जल उठेगी तो तुम खुद जाग जाओगे, ज्योतिर्मय हो जाओगे। ग्वाला गायों को तालाब के पास ले जा सकता है, उन्हें पानी नहीं पिला सकता, पानी तो वे तभी पीएँगी जब उन्हें प्यास होगी। जिनके भीतर प्यास नहीं, वे अमृत को भी ठुकरा कर चले जाएँगे। हमारा काम ज्ञान बाँटना नहीं है, हमारा काम आपके भीतर रोशनी पैदा करना है। रोशनी की प्यास से तुम भर उठो, तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। 159 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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