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रामकृष्ण परमहंस जैसे गुरु मिल जाते हैं तो इसे जन्म-जन्मान्तर की साधना का परिणाम कहा जाएगा। अनुभव का ज्ञान रखने वाले गुरु कोई बड़े पंडित हों, यह आवश्यक नहीं है। रामकृष्ण परमहंस बहुत सामान्य पुरुष थे। ज़्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे। पंडितों में अहंकार अधिक होता है, पांडित्य कम । शिष्य अनुभव से ज्ञानी बने गुरु के पास ही टिक सकता है । यमराज ने नचिकेता से कहा, 'जो हकीकत में विद्या के अभिलाषी हैं, वे ही आगे बढ़ सकते हैं । संपत्ति के मोह से निरन्तर प्रमाद करने वाले अज्ञानी को परलोक नहीं सूझता । यह प्रत्यक्ष दीखने वाला लोक ही सत्य है, इसके सिवा दूसरा कुछ नहीं है, इस प्रकार मानने वाला अभिमानी मनुष्य बार-बार मेरे वश में आता है ।'
आज संपत्ति-प्रधान जमाना है। दुनिया में आजकल ज्ञान और चरित्र की क़ीमत कम होती जा रही है। सब चीज़ों का मूल्यांकन पैसे से किया जा रहा है; लेकिन यह चालाकी यमराज के आगे नहीं चल सकती। दुकानदारी करने वाले गुरु बने बैठे हैं । यही लोग महागुरु तक कहलाने लगे हैं। कौन सही, कौन गलत, इसका फैसला यमराज ही करते हैं । यमराज के सामने न तो पैसा चलता है और न कोई और चालाकी । वहाँ तो ज्ञान और चरित्र से ही बात बन सकती है। इसलिए ऐसे लोग ही बार-बार मेरे वश में आते रहते हैं। जन्म लेते हैं, मरते हैं, फिर जन्म लेते हैं, इस तरह संसार-चक्र चलता रहता है। यह कल चक्की कभी नहीं रुकती । इसी चलती चक्की को देखकर कबीर ने कहा था, 'चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय, दो पाटन के बीच में साबित बचा न कोय ।'
यमराज कहते हैं, इस चक्की में आकर दुनिया बार-बार मेरे अधीन आती रहती है । सब पैसे के पुजारी बने बैठे हैं। पर एक बात तय है कि हर पुजारी को मृत्यु की शरण में अवश्य जाना होता है । मृत्यु के समय में भगवान को वही याद कर पाता है, जिसने जीवन में भगवान का नाम लिया हो। किराने की दुकान पर रात-दिन हल्दी, नमक, मिर्ची करने वाला मरते वक्त क्या राम-कृष्ण-महावीर को याद कर पाएगा ?
ऐसा हुआ कि एक सेठ मरणशय्या पर था। साँसें टूटने ही वाली थीं। उसने पूछा, ‘बड़ा बेटा कहाँ है ?' बताया, 'सिरहाने खड़ा है ।' छोटा कहाँ है ? बताया गया, 'आपके दाएँ खड़ा है ।' सेठ ने फिर पूछा - 'मँझला कहाँ है ?' पत्नी ने समझाया - 'आपके बाएँ खड़ा है ।' सेठ नाराज हो गया, 'तीनों यहाँ हैं तो दूकान पर कौन है ?'
जो आदमी मरते समय भी यही सोचता रहेगा कि दूकान पर कौन है, तो वह बार-बार मृत्यु के वश में आता रहेगा । उसका उद्धार कभी नहीं होगा। मुक्ति वही पाते
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