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________________ है, महावीर है । अविद्या में रहने वाले चाहे गुरु भी क्यों न हों, वे खुद भी कुए में गिरते हैं और अपने शिष्य को भी गिरा देते हैं। दो तरह के गुरु होते हैं - एक तो वे जो पुस्तक के ज्ञानी होते हैं और दूसरे वे जो जीवन के अनुभव से ज्ञानी बनते हैं। पंडित वही है, जिसकी प्रज्ञा जाग गई। आजकल तो हर कोई पंडित बना फिरता है, नेता बना फिरता है। नेता अच्छा शब्द है, लेकिन आजकल इस शब्द ने अपना अर्थ खो दिया है। जो और कोई काम करने योग्य नहीं रहा, वह नेता बन जाता है। स्कूल में कक्षा का मानीटर बना। कॉलेज में गया, तो छात्रसंघ को पकड़ लिया। मौका मिलते ही शहर में वार्ड का चुनाव लड़ लिया। सितारे बुलंद हुए, तो विधायक बन गया। आगे से आगे राह मिलती चली गई। ऐसा नहीं है कि सारे नेता खराब ही होते हैं। अच्छे नेता भी हुए हैं, पर आजकल के अधिकांश नेता जनता की सेवा कम और अपनी सेवा ज़्यादा करते हैं । छिछली राजनीति में लिप्त हो जाते हैं । जहाँ न नीति है न नीयत, उसी का नाम नेतागिरी है। पहले नेता वही बनते थे जिनमें नीति, नीयत और नेतृत्व का गुण होता था। आजकल तो हर कोई नेता या गुरु बन जाता है। एक मज़ेदार बात और देखिए, आजकल गुरु भी कई तरह के होने लगे हैं - प्रबंधन गुरु, आध्यात्मिक गुरु, गुरु घंटाल । गुरु बनते ही चेला ढूँढ़ने निकल पड़ते हैं। ऐसे लोगों ने ही गुरु शब्द को इतना हल्का बना दिया है कि लोग शिष्य बनने से भी परहेज करने लगे हैं। केवल किताबें रटने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता। ईश्वर जिनको चाहता है, वही गुरु बन पाते हैं क्योंकि गुरु बनना एक विरल घटना है। ईश्वर जिस पर अनुग्रह बरसाते हैं, वही गुरु बन पाता है। गुरु-गोविन्द दोनों खड़े, काके लागू पाँय। कबीर ने कमाल कर दिया। गुरु को गोविन्द के समकक्ष खड़ा कर दिया। ऐसी स्थिति बना दी किसे बड़ा माना जाए। गुरु में भी वही गोविन्द, वही भगवत्ता साकार हो जाए। भगवान कहने से कुछ नहीं होता। कहने को तो आजकल कुछ लोग खुद को भगवान भी कहने लगे हैं। लेकिन नाम से ही कोई भगवान थोड़े ही हो जाता है, भगवान की भगवत्ता के गुण भी चाहिए। केवल पुस्तकों के ज्ञान से खुद को भगवान या गुरु स्थापित करने वाले दुनिया को बेवकूफ़ बना सकते हैं, लेकिन यमराज को बेवकूफ़ नहीं बना सकते। उन्हें तो यमराज के चंगुल में आना ही पड़ेगा। इसलिए गुरु का पथ पकड़ो क्योंकि यही कल्याण का मार्ग है। नचिकेता यमराज के पास पहुँचा, तो इसलिए कि यमराज को अनुभव से हुआ ज्ञान है। उनके ज्ञान में से कुछ मोती वह भी चुन लेना चाहता है। एक झेन कहानी है। एक प्रोफेसर झेन गुरु के पास ज्ञान-प्राप्ति के लिए जाता है। गुरु उसके लिए चाय बनाकर लाते हैं। गुरु अपने सामने दो कप रखते हैं और केतली में से चाय एक कप में 137 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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