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विपश्यना चंक्रमण । माह में दो बार ऐसा करोगे, तो नेत्र संयम की शुरुआत हो जाएगी। इसी तरह अपनी कर्णेन्द्रिय पर भी संयम रखो। लोगों को अपनी प्रशंसा सुनना तो अच्छा लगता है, लेकिन कोई निंदा करे, तो मिर्च लग जाती है। यानी अपनी ज़ुबान से किसी की निंदा मत करो, कान से बुरी बातें सुनो मत । यदि सुन लो, तो प्रायश्चित करो।
प्रेय की दुनिया से बाहर निकलें । खाली बैठना अच्छा लगता है, लेकिन खाली न बैठे। कुछ-न-कुछ करते रहें। इसलिए नहीं कि धन कमाना है, बल्कि इसलिए ताकि शरीर गतिमान रहे । शेखचिल्ली के बारे में कहते हैं - एक बार शेखचिल्ली एक पेड़ के नीचे लेटा आराम कर रहा था। वहाँ से निकले एक राहगीर ने उससे कहा, 'क्यों बेकार बैठे हो, कुछ काम करो। और कुछ नहीं तो लकड़ी ही काट लाओ।' शेखचिल्ली ने जानना चाहा, लकड़ी काटने से क्या होगा? उस व्यक्ति ने जवाब दिया, 'इससे पैसे मिलेंगे। उन पैसों से तुम गाएँ खरीद लेना, उनके दूध का व्यापार करना।' शेख ने फिर पूछा, 'इससे क्या होगा?' राहगीर ने उसे समझाया, 'भाई फिर कुछ और गाएँ ले आना, इस तरह दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी और पैसे भी खूब आएँगे।' शेखचिल्ली तो शेखचिल्ली ही था। उसने फिर पूछा, 'इससे क्या होगा?' राहगीर ने फिर बताया, 'पैसों से तुम मकान बनवा लेना, नौकर रख लेना और आराम करना।' शेखचिल्ली ने उसे कहा, 'आराम तो मैं अभी कर ही रहा हूँ, उसके लिए इतने काम करने की कहाँ जरूरत है !'
बात हँसने की हो सकती है, लेकिन इस कहानी में यह संदेश छिपा है कि खाली न बैठो, समय का उपयोग करो। अधिकांश भारतीय महिलाएँ मोटी क्यों हो जाती हैं। शादी के बाद कुछ समय तो उनका रसोई में निकल जाता है, पर फिर वे काफी सारा समय सोने में बिता देती हैं। इससे वे मोटी होती जाती हैं। इसके विपरीत कुछ महिलाएँ ऐसी भी होती हैं, जो लगातार कुछ-न-कुछ करती रहती हैं। समय का सही उपयोग उन्हें छरहरी काया वाला रखता है। खाली बैठना अच्छा तो लगता है, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं होता। गीता के भगवान ने इंसान को सक्रिय जीवन जीने की प्रेरणा दी है। जो कुछ काम नहीं करता, वह निकम्मा होता है । निकम्मे लोग केवल खुद के जीवन को निष्फल नहीं करते, बल्कि पूरे देश को निकम्मा कर देते हैं। कहते हैं न कि एक मच्छर सारे देश को हिंजड़ा कर देता है । निकम्मे लोग ऐसे मच्छर, मक्खी की श्रेणी में ही आते हैं।
सक्रिय जीवन तो जीएँ ही, पर संयमित जीवन अवश्य जीएँ। केवल देह-भोग पर ही संयम न रखें, खाने पर भी संयम रखें। शादी-समारोह में गरिष्ठ भोजन से बचें। केवल जीभ की प्रियता के बारे में ही न सोचें। यह भी देखें कि इस तरह के खाने से शरीर
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