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जिस दिन संसार में प्रवेश करो, बोध रखो कि एक दिन वापस लौटना है। सोचो, मैं संसार-सागर में उतर रहा हूँ, इसे समझने के लिए, डूबने के लिए नहीं। डुबकी लगाओ, तो बोध रखना कि वापस लौटना है। जो बाहर निकल जाएगा, उसे बोध मिल गया। जो नहीं निकल सका, समझो मर गया। सबको मरना है, पर परिणाम सबके जुदा-जुदा होंगे। एक जीवन का परिणाम महावीर हो सकता है, बुद्ध हो सकता है तो दूसरे का स्टालिन या हिटलर भी हो सकता है। मीरा, कबीर, सूर सबने अपने-अपने परिणाम निकाले। किसी ने खुद को गाँधी बना लिया, तो कोई गोडसे ही बन पाया। प्रलोभन तो मिलेंगे, इनसे बचें कैसे - जिसने यह जान लिया, उसने जीवन धन्य कर लिया।
नचिकेता यमराज की ओर से दिए गए किसी प्रलोभन में नहीं आया। उसने यमराज से कहा, ये सब बचकानी बातें हैं। ये प्रलोभन किसी और को देना। मेरे साथ आपकी ये चालाकी नहीं चलेगी। मझे नाच-गाने नहीं चाहिए, ये आपको ही मुबारक। मेरी तो आपसे एक ही प्रार्थना है, कृपया मुझे मृत्यु का रहस्य समझा दीजिए, आत्मज्ञान का रहस्य समझा दीजिए। यही तो असली धन है। अन्यथा धन से किसी को तृप्त नहीं किया जा सकता? सिकंदर दुनिया को जीतने निकला। वह ज्यों-ज्यों राज्यों को जीतता गया, उसकी चाह और बढ़ती गई, लेकिन अंत क्या हुआ, वह खाली हाथ ही गया। कोई मित्तल, कोई अंबानी, थोड़ा या ज़्यादा पाने के बाद भी तृप्त नहीं हो पाता। उसे और चाहिए, जबकि सत्य यह है कि कोई चीज़ साथ नहीं जाने वाली है।
लोग अपने बुढ़ापे की व्यवस्था करना चाहते हैं। ज़रूर करें, किसी पर आश्रित न रहें, लेकिन इतना भी न करें कि पैसे के पीछे पागल हो जाएँ, परमात्मा को भूल बैठे। इंसान पुण्य कमाने के लिए दान करता है। यहाँ तक तो ठीक है, लेकिन पहले तो वह पाप करने में लगा रहता है। फिर आँख खुलती है, तो भगवान को रिश्वत देना चाहता है। वह दिखाता है कि लीजिए भगवान, मैंने अमुक का भला कर दिया, ये मंदिर बनवा दिया। पहले पाप करो, लोगों का शोषण करो, फिर उसका प्रायश्चित करने के लिए दान करने निकल पड़ो। यह तो उलटी गाड़ी हो गई। कोशिश की जाए कि पाप की तरफ क़दम ही न बढ़ें। कमाया है, अच्छी बात है। अतिरिक्त है, उस धन का विसर्जन अच्छे कार्यों में करो। किसी का भला करो।
एक साधक को मैं जानता हूँ जिन्होंने जीवन को बड़े ही तरीके से जिया। उन्होंने खूब धन कमाया। खुद ने अपनी कमाई में से बचाए 51 लाख रुपए बैंक में 'फिक्स डिपॉजिट' करवा दिए। इकसठ साल के होते ही उन्होंने व्यवसाय बच्चों को सौंप दिया। अब उनके पास हर माह इक्यावन लाख का ब्याज आता है। वे अपनी पत्नी के साथ वर्ष भर तीर्थ स्थलों की यात्रा पर रहते हैं। जब जहाँ, जी चाहे, वे उसी तीर्थ में ठहर जाते हैं।
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