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स्वाद बताती है। इसी तरह स्पर्श का सुख लेते हैं। पाँचों इन्द्रियाँ एक-एक जीव की हत्या का कारण बनती हैं। पतंगा अपनी आँखों के सुख के कारण मारा जाता है। वह शमा को जलता देखता है और उस पर मंडराने लगता है। कुछ ही देर में उसका जीवन समाप्त हो जाता है। हरिण अपने कानों के सुख के कारण मारा जाता है। संगीत सुनकर वह उसकी ओर खिंचा चला जाता है और जाल में फँस जाता है। भँवरा नाक के कारण मारा जाता है। वह ख़ुशबू की चाह में कमल की पंखुरी पर बैठता है और शाम को पंखुरियाँ उसे कैद कर लेती हैं। मछली अपनी जिह्वा के कारण मारी जाती है। काँटे में लगा आटा खाने की चाह में काँटे में फँस जाती है और किसी और का भोजन बन जाती है। हाथी शरीर के कारण मारा जाता है। शिकारी उसे शराब पिलाकर छोड़ देते हैं और एक स्थान पर छिपाकर बनाए गए गड्ढे के सामने हथिनी को खड़ा कर देते हैं। कामांध हाथी सिर्फ हथिनी को देखता है और उस गड्ढे में गिर कर जान से हाथ धो बैठता है।
ज़रा सोचो, पाँच जीवों को उनकी एक-एक इन्द्रिय के कारण जान गंवानी पड़ती है, तो मनुष्य के पास तो पाँच-पाँच इन्द्रियाँ है। इन्हीं इन्द्रियों के बारे में नचिकेता हमें बता रहे हैं कि भोगों से हमारी इन्द्रियों का तेज नष्ट हो जाता है। जो लोग उन्मुक्त भोग करते हैं, उनके पुण्य धीरे-धीरे कर समाप्त हो जाया करते हैं। ऐशो आराम से जीवन व्यतीत करने वालों के चेहरे पर प्रायः तेजस्विता दिखाई नहीं देती, लालिमा नहीं दिखती, ओज नहीं दिखता।
__ संत इसीलिए पूजे जाते हैं क्योंकि उनका तेज सुरक्षित रहता है। वे इन्द्रिय संयम-पथ के राही होते हैं । नचिकेता को बोध हो गया था कि ये भोग क्षणभंगुर हैं । सारा जीवन ही अल्प है। कब-किसकी हवा निकल पड़े, पता नहीं चलता। भले ही इंसान सात पीढ़ियों के सपने देखता है लेकिन भविष्य किसी ने नहीं देखा, नहीं जाना। भविष्य नहीं, वर्तमान ही महत्त्वपूर्ण होता है। जीवन कभी भी बिखर सकता है। इन्द्रधनुष कितने समय तक आकाश में रह सकता है ? उसका जीवन अत्यंत ही अल्प होता है। कागज की नाव नदी में कितनी देर तैर सकती है ? इसी तरह कमल पर ओस की बूंद, सागर में उठने वाली लहर, यह सब क्षणभंगुर जीवन की तरह ही अत्यंत अल्प जीवन लेकर आने वाले निमित्त हैं । जीवन अनित्य है और जीवन से जुड़ा शरीर मरणधर्मा। __ शरीर अन्नधर्मा है। दो दिन खाना मत खाओ, सब टाँय-टाँय फिस्स। तपस्या करने के बाद भी अन्न तो चाहिए ही। किसी इंसान में एक गुण धर्म पैदा हो गया, तो तय है कि अन्य गुण धर्म भी उजागर होंगे ही। जैसा खाएँगे, वैसा ही प्रभाव भी होगा। बादाम खाओगे तो दिमाग की शक्ति बढ़ेगी, पर शरीर में उष्णता जागेगी; इसलिए शरीर को उष्णता-प्रधान होने से बचाएँ।
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