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________________ यमराज के प्रलोभन दुनिया का कोई भी सिद्ध महापुरुष किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन का रहस्य प्रदान करता है तो पहले उस व्यक्ति की परीक्षा लेना मुनासिब समझता है। बिना परीक्षा लिये न तो कोई आचार्य अपने किसी विद्यार्थी को सफल घोषित करता है और न ही कोई सिद्ध पुरुष अपने योग्य शिष्य को जीवन की सिद्धियाँ प्रदान किया करता है। इंसान के लिए ज़रूरी है कि वह जिस व्यक्ति को अपने जीवन का रहस्य बताना चाहता है, पहले उसकी पात्रता की परीक्षा अवश्य करे । बगैर पात्रता, कोई भी चीज़ प्रदान की जाएगी, तो वह वैसे ही व्यर्थ जाएगी जैसे कि कौओं को दिया गया ज्ञान व्यर्थ हो जाया करता है । मोतियों का ज्ञान यदि हंसों को दिया जाता है, तो कौओं को तो कचरे का ही ज्ञान दिया जा सकता है । वे उसी के योग्य होते हैं। बगैर पात्रता न तो कोई ज्ञान प्राप्त कर सकता है और न ही किसी को ज्ञान दिया जा सकता है। यमराज ने नचिकेता की परीक्षा लेने के लिए यह कहा कि तू मुझसे मृत्यु के रहस्य के बारे में सवाल मत कर । तू चाहे तो मैं तुझे धरती की अकूत संपदा दे सकता हूँ। तीनों लोकों का साम्राज्य प्रदान कर सकता हूँ। इतना धन दे सकता हूँ कि जो कभी भी ख़त्म नहीं होगा। मैं तुझे रमणियाँ, देवांगनाएँ, सुन्दर पत्नियाँ दे सकता हूँ, लेकिन आत्म-ज्ञान का रहस्य, मृत्यु का रहस्य जानने की ज़िद न कर। यमराज ने यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर यह व्यक्ति मृत्यु का रहस्य जानने का, आत्म-ज्ञान का रहस्य पाने का पात्र भी है या नहीं। यमराज के प्रलोभन भी उसी व्यवस्था का हिस्सा थे। यह कसौटी तो होनी ही चाहिए कि आखिर नचिकेता के भीतर मृत्यु का रहस्य जानने की कितनी प्यास है ? पात्रता बिना किसी को कोई चीज़ नहीं मिलती। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं - एक भोगवादी, दूसरे आत्म-ज्ञानी। एक पराविद्या की रुचि वाले होते हैं, तो दूसरे 109 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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