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पुरुष भी अपवाद नहीं रहे। प्रकृति सबको पैदा करती है, तो कोई इनसे मुक्त नहीं हो सकता। पैदा होने के बाद मुक्ति का रास्ता ढूँढ़ा जा सकता है। धर्म-आराधना का, साधना का यही परिणाम है।
__ हम सभी एक सहयात्री के रूप में पृथ्वी पर आए हैं। मेरे साथ आप भी चल रहे हैं। सौ लोग एक ही रास्ते पर चल रहे हों, तो आगे-पीछे का भेद कैसे किया जा सकता है। जो लोग महापथ पर चल रहे होते हैं, वे लोग मंज़िल की तरफ ही चल रहे होते हैं। हम यही कह सकते हैं कि यहाँ सब सहयात्री हैं । मैं थक जाऊँ, तो आप हाथ थाम लेना; आप थक जाओगे तो मैं आपको थाम लूँगा। इस तरह एक-दूसरे की मदद करते हुए मंजिल पा ही लेंगे।
___ एक छोटे बच्चे की अंगुली थाम कर बड़े उसे सहारा देते हैं। यही बच्चा बड़ा होने पर अपने बुजुर्ग माता-पिता को सहारा देता है। हम सब एक-दूसरे के सहयोगी हैं। सहयोगी का भाव इसीलिए रखें, ताकि हमारे भीतर अहंकार पैदा न होने पाए। अहंकार बहुत ख़तरनाक है। मनुष्य के रूप में पैदा हुए हैं, तो थोड़ा-बहुत अहंकार तो हमारे भीतर होता ही है। अपनी समझ का उपयोग करते हुए हमने अपने अहम् भाव को बदला है, लेकिन अभी कषाय की काली छाया अपने साथ है।
माना कि हम लोग प्रेम-पथ के राही हो गए हैं, चींटी को भी प्रेम से देख रहे हैं लेकिन अपमान का सामना करने पर गुस्सा आ ही जाता है। महान बनने में वर्षों लगते हैं। केवल झोली पकड़ने से कोई संत या महान् नहीं बन जाया करता। व्यायामशाला में जाकर एक दिन व्यायाम करने से कोई पहलवान नहीं बन जाता। धीरे-धीरे बात बनने लगती है। हमारी जिंदगी वीणा के तारों की तरह है। इन पर अंगुली साधनी आना चाहिए, ताकि हमारा जीवन अनुपम बन सके। मरना तो एक दिन है ही, प्रयत्न तो यह करना है कि इसे सार्थक कैसे बनाया जाए? जीवन अगर सार्थक बना लिया, तो समझो मृत्यु भी सार्थक हो गई। जीवन अगर व्यर्थ है, तो मृत्यु भी व्यर्थ है।
___ मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ कि मरना मना है। ईश्वर ने, प्रकृति ने हमें जीवन पुरस्कार के रूप में दिया है। पहले हम जीवन को सार्थक करेंगे, फिर मृत्यु अपने आप सार्थक हो जाएगी। मृत्यु तो जीवन का उपसंहार है। जैसा उपन्यास होगा, वैसा ही उसका उपसंहार होगा। जैसा श्रेष्ठ जीवन हम जीएँगे, हमारी मृत्यु उतनी ही श्रेष्ठ होगी। मरना भी एक कला है, परन्तु मरना तभी आएगा, जब हमें जीना आ जाएगा। इसलिए जीना सीखें, ताकि मरना सीख सकें। मैं मरना सिखाता हूँ; पर यह तभी संभव है जब आप पहले जीना सीख जाएँ।
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