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कह लेता है, लेकिन वो गुरु जो हमें बदल डाले, हमारी चेतना में अपनी आध्यात्मिक शांति और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश प्रकट कर दे, ऐसे गुरु तो भाग्यवान को ही मिलते हैं । ऐसे गुरु की लख लख बलिहारी ।
आज से हम एक ऐसे मार्ग पर अपने कदम बढ़ा रहे हैं, जो केवल किसी ज्ञान की ज़मीन पर चहलकदमी नहीं होगी, वरन् चार कदम सूरज की ओर बढ़ना कहलाएगा। हम ज्ञान के प्रकाश की तरफ तो बढ़ रहे हैं, पर यह ज्ञान कोई किताबी ज्ञान नहीं है । यह ज्ञान आत्मज्ञान है । ऊपर-ऊपर चलेंगे, तो किनारों पर सागर की ठंडी हवाएँ भर मिलेंगी। इस दिव्य ज्ञान के भीतर उतरेंगे, तो इसके मोती हमें चमत्कृत कर डालेंगे। हम एक अद्भुत उजास से, एक अद्भुत मिठास से, एक अद्भुत लालित्य से भर उठेंगे। मैंने इस रस का खूब पान किया है, तर-ब-तर हुआ हूँ। मुझे इतना आनन्द मिला है कि मैं आनन्दित नहीं हुआ, खुद ही आनन्द हो गया हूँ।
अध्यात्म के इस दिव्य मार्ग पर हम लोगों को ज्ञान का जो दीप उपलब्ध है, जिसके सहारे हम जीवन के सत्य की तलाश करेंगे, वह उपनिषद् है। उपनिषद् यानी वेदों का विस्तार । वेद यानी दिव्य अनुभूतियों का कोष । अनुभूति यानी आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान; अनुभूति यानी सत्य का ज्ञान । 'उपनिषद्' शब्द का अर्थ है: अपने पास बैठना। तीन शब्द धार्मिक परंपरा में उपयोग में लाए जाते हैं। पहला, उपनिषद् | दूसरा है उपवास और तीसरा है उपासना । तीनों शब्द यूँ तो अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं, लेकिन बुनियादी तौर पर तीनों का एक ही अर्थ है । उपनिषद् का अर्थ होता है, खुद के पास बैठना । उपवास का अर्थ होता है, अपने में स्थित होना और उपासना का अर्थ होता है अपने में दिव्यता का आनन्द लेना ।
उपनिषद्, उपवास और उपासना तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक-दूसरे के पूरक हैं । भारतीय संस्कृति जिस ज्ञान - परंपरा को अपने साथ लिए हुए है, उसका बड़ा हिस्सा उपनिषदों में छिपा है । भारत के संपूर्ण आध्यात्मिक शास्त्रों को अगर किसी एक शास्त्र में देखा जा सकता है तो वह उपनिषद् है । कोई यह न समझे कि उपनिषद् किसी एक धर्म, पंथ या परंपरा के हैं । ज्ञान तो प्राणी मात्र के लिए होता है । जैसे सूरज किसी एक समाज, एक जाति के लिए नहीं होता, वैसे ही दुनिया का कोई भी शास्त्र या उपनिषद् किसी एक धर्म-परंपरा के लिए नहीं हुआ करता । जो भी आँख खोलेगा, सूरज उसको रोशनी देगा । आग सबकी रोटी पकाती है, जो भी पकाना चाहे । बादल सबकी प्यास बुझाते हैं । जो अपनी प्यास बुझाना चाहता है, उसे प्रयास करना पड़ेगा ।
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