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ढोता रहेगा। आप जब तक जवान हैं, आपके शरीर में ताक़त है, तब तक तो कोई बात नहीं; लेकिन बूढ़ी काया से मोह कैसा ? बूढ़ी काया को अमर बनाकर क्या करोगे ? एक दिन चले जाने में ही भलाई है। हमेशा सुख-ही-सुख रहा, तो सुख की क़ीमत ही समझ में नहीं आएगी। दुःख-दर्द भी आना ही चाहिए ।
जिस व्यक्ति के चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ गई हैं, बाल सफेद हो गए हैं, हाथ में लाठी आ चुकी है, पत्नी-बच्चे भी उपेक्षा करने लगे हैं, ऐसे किसी व्यक्ति को स्वयं परमात्मा भी आकर कहे कि मैं तुम्हें और सौ साल जीने का वरदान देता हूँ, तो यह आशीर्वाद नहीं, अभिशाप है। बुज़ुर्ग काया तो यही प्रार्थना करेगी कि चलती-फिरती ही यहाँ से प्रस्थान कर जाऊँ । सहज मृत्यु आए, तो उसका स्वागत है, लेकिन असहज मृत्यु आए, तो मैं यही कहूँगा, मरना मना है ।
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दुनिया में दो शब्द हैं आत्महत्या और हत्या। दूसरे का वध करते हैं, तो वह हत्या कहलाती है । आदमी स्वयं का जीवन समाप्त करता है, तो उसे आत्महत्या कहेंगे । मैं नहीं समझता कि आत्महत्या शब्द क्यों बना । आत्मा की तो हत्या की ही नहीं जा सकती । जिस आत्मा के लिए कहा गया है कि प्राणी के जन्म से पहले भी जिसका अस्तित्व रहता है और प्राणी का शरीर शांत होने के बाद भी जिसका अस्तित्व रहेगा, वह है आत्मा । इसलिए आत्महत्या की बजाय इसे देह-हत्या कहा जाना चाहिए।
एक बात तो तय है कि दुनिया में जो प्राणी आया है, उसे एक दिन जाना होगा। ऐसे में कोई व्यक्ति मृत्युदेव के सामने खड़ा होकर मृत्यु के बारे में सवाल करता है, तो एक बार तो मृत्यु भी हिल जाएगी। यदि कोई किसी राजा से पूछे कि आप राजा कैसे बने, इसके लिए क्या तरीका अपनाया तो वह नहीं बताएगा। वह तो रहस्य ही बनाए रखेगा। मृत्यु भी अपनी ओर से नचिकेता को बताने के तैयार नहीं है कि किसी को अपना रहस्य बता दे । व्यक्ति मरने के बाद कहाँ जाता है ? मृत्युदेव किस तरह किसी के शरीर से प्राणों का हरण करते हैं, यह जानकारी क्यों देंगे ?
यहाँ सवाल बताने या छिपाने का नहीं है, अपितु विवशता का है । वरदान भी तो स्वयं यमराज ने ही तो दिया है कि माँगो नचिकेता, तीन वर के रूप में क्या माँगते हो ? अब नचिकेता ने मृत्यु का रहस्य जानना चाहा है, तो यमराज भला पीछे कैसे हट सकते हैं, लेकिन वे अपनी ओर से नचिकेता को भुलावे में डालने की पूरी कोशिश करते हैं । नचिकेता ने पहला वर माँगा, पिता की प्रसन्नता का। दूसरे वर के रूप में अग्नि का रहस्य जानना चाहा और अब तीसरे वर के रूप में वे मृत्युदेव से मृत्यु का ही रहस्य जानना चाहते हैं ।
हे मृत्युदेव, बताएँ, मृत्यु के बाद क्या होता है ? मुझे इसके बारे में भलीभाँति समझाइए । मैं तो आपका शिष्य हूँ और शिष्य होने के नाते मेरा अधिकार है कि मैं अपने
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