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मृत्यु या मुक्ति
नचिकेता के द्वारा माँगे गए तीन वर में से तीसरा वर यह है कि हे यमराज, दुनिया में कुछ लोग कहते हैं कि इंसान मरने के बाद रहता है, और कुछ कहते हैं कि नहीं रहता। आप इस विषय के परम ज्ञाता हैं । अतः तीसरे वर के रूप में मैं आपसे आत्म-ज्ञान का यह रहस्य जानना चाहूँगा, ताकि मुझे भली-भाँति यह बोध हो सके कि मरने के बाद क्या होता है और क्या नहीं होता? यद्यपि नचिकेता के द्वारा जब प्रथम दो वर माँगे गये, तो यमराज प्रसन्न था कि उसने ऐसे वर माँगे जिनके बारे में ज्ञान देना पृथ्वी वासियों के लिए सहज-सरल है, लेकिन उन्हें यह उमीद तो कतई नहीं थी कि उनके द्वार पर आया नचिकेता प्राणी-मात्र की मृत्यु का रहस्य जान लेना चाहेगा।
यमराज नचिकेता को वर देने के लिए वचनबद्ध थे, क्योंकि उन्होंने ही उसे तीन वर माँगने को कहा था; इसलिए वे विवश थे, मजबूर थे। पृथ्वी पर लोग मृत्यु को आता हआ तो देखते हैं, लेकिन इसके बाद क्या होता है, इसे कोई नहीं जान पाता। पृथ्वी पर एक भी घर ऐसा न होगा, जहाँ कभी किसी की मृत्यु नहीं हुई हो। यही वजह है कि किसी समय गौतमी के पुत्र की मृत्यु हो गई, तो वह गाँव भर में वैद्यों के पास घूमी। बस, एक ही चाह लेकर कि कोई उसके पुत्र को जीवित कर दे। भला ऐसा कभी हुआ है ! हर किसी ने एक ही बात कही - किसी भी प्राणी के लिए यह तो संभव है कि वह किसी को मार दे, लेकिन मरने वाले को कोई जीवित नहीं कर सकता। दुनिया में ईश्वर पराशक्ति के रूप में हर कहीं व्याप्त है। जो काम यमराज नहीं कर सकता, वह पराशक्ति ईश्वरीय शक्ति कर सकती है। वह मृत को भी अमृत कर सकती है।
गौतमी पुत्र-मोह में पागल हो गई थी। उसे किसी की बात पर यक़ीन नहीं हो रहा था। वह सोच रही थी कि कोई-न-कोई तो ऐसा होगा, जो उसके पुत्र को फिर से जीवित कर देगा। भटकते-भटकते वह बुद्ध के पास पहुँची। बुद्ध ने गौतमी की मनोदशा को समझा। वे सोचने लगे कि गौतमी को सीधे जवाब दिया गया, तो उसके भीतर
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