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________________ मूर्खता से शुरुआत, पश्चाताप पर पूर्ण ___गीता कहती है कि क्रोध मूर्खता को पैदा करता है। मूढ़ता से स्मृतिभ्रम होता है और स्मृतिभ्रम से बुद्धि का नाश होता है। जीवन भर याद रखें कि क्रोध की शुरूआत मूर्खता से होती है और उसका समापन पश्चाताप से। क्रोध में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है। विवेक खोने के कारण व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और कई बार क्रोधित व्यक्ति ऐसे कार्य भी कर देता है जिनका परिणाम बड़ा गम्भीर होता है। आदमी को यह पता नहीं लगता कि वह किसको क्या कह रहा है ? गुस्से में भरा व्यक्ति अपनी ही संतान को सूअर की औलाद,' जैसी पता नहीं कितनी ही गालियाँ देता है । गुस्से में अपने आप को ही सूअर बना देता है। मुझे याद है: एक फिल्म हॉल में पति-पत्नी फिल्म देख रहे थे। अचानक पत्नी की गोद में सोया हुआ बच्चा रो पड़ा। वह मुश्किल से आठ-नौ महीने का होगा। उस व्यक्ति ने पत्नी से कहा, 'उसे दूध पिला दो, वह चुप हो जाएगा। दो मिनट बाद फिर भी बच्चा रोता रहा तो उसने कहा, 'मैंने कहा न, उसे दूध पिलाना शुरू कर दो सारी फिल्म का मज़ा किरकिरा हो रहा है।' पत्नी ने कहा- 'मैं बहुत कोशिश कर रही हूँ पर यह पी नहीं रहा है।' पति थोड़ा गुस्सैल प्रकृति का था। उसने कहा, 'एक थप्पड़ मारो यह क्या इसका बाप भी पीएगा।' इसीलिए गीता ने कहा कि क्रोध से स्मृतिभ्रम होता है और उससे बुद्धि का नाश होता है । क्रोध करना बुरा है, शायद क्रोध करने वाला हर व्यक्ति भी यही बात कहेगा। क्रोध पर विजय प्राप्त करने के कुछ सूत्रों को समझने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि आदमी को गुस्सा आखिर क्यों आता है ? आम तौर पर गुस्सा करने वाले लोगों से पूछा जाए तो उनका एक ही जवाब होता है- 'साहब, कोई झूठ बोले या गलती करे तो गुस्सा आता है। मेरे देखे यह जवाब थोड़ा गलत ही है। व्यक्ति को अगर गलतियों पर गुस्सा आए तो केवल औरों की गलतियों पर ही क्यों? खुद की गलतियों पर क्यों नहीं। सच तो यह है कि दूसरे की छोटी-सी गलती को भी हम बर्दाश्त नहीं कर पाते और अपने अहंकार की संतुष्टि के लिए गुस्सा कर बैठते हैं । अगर गलती पर गुस्सा आए तो औरों की गलती पर ही क्यों ? खुद से गलती होने पर हम क्या करते हैं ? हम सड़क पर चले जा रहे थे। पाँव पर ठोकर लगी और अंगूठे से खून बहने लगा। क्या आप मुझको बताएंगे कि उस वक्त आप किस पर गुस्सा करेंगे? भोजन कर रहे थे कि थोड़ी सी असावधानी के कारण गाल या जीभ दांत के नीचे आ गई। उस स्थिति में आप किस पर गुस्सा करेंगे? उपेक्षा : क्रोध की जननी जब व्यक्ति की अपेक्षा उपेक्षित होती है तो उसे क्रोध आता है। अपेक्षा और क्रोध का गहरा रिश्ता है। पता ही नहीं लगता कि थोड़ा-सा उपेक्षित होते ही व्यक्ति कितना विकराल रूप ले लेगा? पहले हम सम्बन्ध बढ़ाते हैं और फिर संबंधों में अपेक्षा पालते हैं । जब-जब अपेक्षा उपेक्षित होती है तब-तब व्यक्ति को बुरा लगता है। फिर संबंधों में दरार पड़नी शुरू हो जाती है। आप अपने खास दोस्त से यह अपेक्षा रखते हैं कि जब उसका जन्मदिन हो तो आपको याद करे और साथ ही यह भी अपेक्षा रखते हैं कि आप का जन्मदिन हो तो भी वह आपको शुभ कामना का संदेश देने का ध्यान रखे।अगर उस दिन किसी कारणवश वह भूल गया और तीन दिन 58 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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