SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर इसके बावजूद मैं श्रम और कर्म में विश्वास रखता हूँ । व्यक्ति को हर रोज आठ घंटे मेहनत अवश्य करनी चाहिए। लोग सफलता के ऊँचे ख़्वाब तो देखते हैं, पर मेहनत के नाम पर कुछ भी नहीं करते । निश्चय ही यदि आप पहाड़ों को हिलाना चाहते हैं तो पहले पत्थरों को हिलाना सीखिए । कहते हैं, एक लकड़हारा काम की तलाश में किसी लकड़ी के व्यापारी के पास गया। उसे काम भी मिल गया और वेतन भी अच्छा मिला। लकड़हारे ने ख़ूब मन लगाकर काम करने का निश्चय किया। मालिक ने उसे कुल्हाड़ी दी और वह जगह बताई जहाँ उसे काम करना था। पहले दिन के काम पर ही मालिक ने उसे शाबासी दी और इसी तरह मेहनत करने को कहा । पहले दिन उसने 20 सूखे पेड़ काटे, पर दूसरे दिन वह 15 सूखे पेड़ ही काट सका, तीसरे दिन उससे 10 पेड़ ही कटे । चौथे दिन चार पेड़ ही वह मुश्किल से काट पाया। वह निराश हुआ और मालिक के पास जाकर रोते हुए कहने लगा कि मैं हर दिन पहले से ज़्यादा मेहनत करता हूँ, पर पेड़ हर दिन कम होते जा रहे हैं । मालिक ने पूछा, 'तुमने कुल्हाड़ी पर धार लगाई ?' लकड़हारे ने कहा, 'धार'? अरे धार लगाने के लिए तो मेरे पास वक़्त ही नहीं था । मैं तो लगातार कुल्हाड़ी चलाने में ही व्यस्त था । मालिक ने कहा, 'अधिक सफलता के लिए कुल्हाड़ी चलाने से भी ज़्यादा ज़रूरी कुल्हाड़ी पर धार लगाना होता है अगर चार घंटा कुल्हाड़ी चलानी है तो दो घंटे धार लगाने में लगाओ, तभी तुम कम मेहनत में अधिक लकड़ी काट सकोगे।' इस घटना से आप अपनी कार्यशैली को बेहतर बनाने गुर सीख सकते हैं। याद रखो कि बुद्धिपूर्वक की गई मेहनत ही सफलता का द्वार है। काम न करने वाले निकम्मे लोग तो अभिशाप हैं । जो लोग निठल्ले और फालतू बैठे रहते हैं वे अपने जीवन की ऊर्जा को व्यर्थ कर रहे हैं। हर आदमी को शरीर और मन दोनों से मेहनत करनी चाहिए। हम शरीर से मेहनत नहीं करेंगे तो हमारे हाथ-पाँव काम नहीं देंगे। यह जो हाड़-माँस की काया है, यह मशीनरी है। मशीनरी का हम जितना उपयोग करते रहेंगे, मशीन उतने वर्षों तक व्यवस्थित ढंग से चलती रहेगी। कार्यशैली को एक व्यवस्था दीजिए। सुबह उठकर हम जब शौच और स्नान इत्यादि कर चुके हैं तो उसके बाद एक काग़ज़ पेन लेकर बैठें और सोचें कि आज दिनभर में हमें क्या-क्या काम करने हैं ? सब्जी लानी है, शेविंग करनी है तो भी नोट कर लीजिए। ऑफिस, घर, दुकान के सारे काम व्यवस्थित ढंग से नोट कर लें। तब हम पाएँगे कि हमारे पास कामों की एक लम्बी सूची बन चुकी है। अब देखें कि इन कामों में से कितने काम ज्यादा ज़रूरी हैं ? बस, अब अपने दिन को, अपनी कर्मठता को, उसके अनुसार जोड़ दें। हम पाएँगे कि दोपहर तक ही हमने पन्द्रह काम निपटा लिए हैं। ताज्जुब तो यह होता है कि रात को जब हम घर LIFE 94 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy