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तरह सुखी और मधुर जीवन का मालिक बनने में आप स्वयं अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करें ।
याद रखिए – आसमान छूने का जज़्बा हो, तो ज़मीन आपकी होती है। केवल ज़िंदगी में कुल्हाड़ी ही मत चलाते रहिए, वरन् कुल्हाड़ी पर धार भी दिलाते रहिए। आपकी धार जितनी अधिक तेज होगी, सफलता की मंज़िल भी उतनी ही क़रीब होती जाएगी ।
कुछ बिंदुओं को याद कर लीजिए -
1. मैं अपने हर दिन की शुरुआत मुस्कान और उत्साह से करूँगा ।
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2. सबके साथ प्रेम और विनम्रता से पेश आऊँगा । यदि कोई दुश्मन भी सामने आ जाए तो उसे भी सम्मान देना धर्म समझँगा ।
3. मैं प्रतिदिन आठ घंटे मेहनत अवश्य करूँगा, फिर चाहे वे घंटे दिन के हों या रात के ।
4. अपने हर काम को अपनी पूजा समझँगा और जो कुछ करूँगा, पूरे विश्वास और उत्साह से करूँगा।
5. असफल होने पर विचलित नहीं होऊँगा, अपितु विफलताओं से सीख लेते हुए, दुबारा प्रयत्न करूंगा, ताकि ग़लतियाँ फिर से न दोहराई जाएँ ।
ये बातें निश्चय ही आपके लिए मददगार साबित होंगी। आदमी के पास देखने की कला हो तो सुई के छेद से भी आसमान को देखा जा सकता है। बस, अपनी मानसिकता को बेहतर बनाएँ और फिर से प्रयत्न प्रारम्भ कर दें। जिस क्षण आप फिर से प्रयत्न प्रारम्भ करेंगे, उसी क्षण से आपके जीवन में नया वर्ष लगेगा । पुराने कलैण्डर उतारिए और पुरुषार्थ का नया कलैण्डर अपने दिल और दिमाग़ में टांगिए ।
LIFE
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