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कोई आदमी गरीब है तो वह गरीबी की हीनभावना को मन में न बसाए । गरीब होना कोई जुर्म नहीं है। मन को गरीब बना बैठना जुर्म होता है । मैं भी साधारण घर में ही पैदा हुआ हूँ, पर मैंने अपने मन को कभी साधारण नहीं होने दिया। अपने मन को सदा असाधारण रखिए, संघर्ष भले ही क्यों न करना पड़े, आप असाधारण हो ही जाएँगे।
मैंने अपने नाना से प्रेरणा ली है। मेरे नाना केवल तीसरी कक्षा तक पढ़े थे, पर महान् इतिहासविद् हुए। मुझे गीता के कृष्ण से कर्मयोग की प्रेरणा मिली है और रामायण से मर्यादाओं को जीने की शिक्षा प्राप्त हुई है। मैंने कर्ण जैसे लोगों से प्रेरणाएँ ली है। भले ही मेरा संत-जीवन क्यों न हो, पर मैं अपने पास आए हुए किसी भी याचक को खाली हाथ नहीं जाने देता। मैंने राम से मर्यादा का पाठ सीखा है, तो भरत से त्याग का। महावीर से अहिंसा सीखी है तो मोहम्मद से मोहब्बत । सुकरात से सत्य सीखा है तो जीसस से प्रेम और सेवा का पाठ पढ़ा है। कबीर से मस्ती पाई है तो मीरा से भक्ति । सूर से प्रेरणा लेकर हृदय की पगड़डियाँ खोली है, तो मदर टेरेसा की आँखों में झाँककर सेवा की रोशनी पाई है। गाँधी यदि सादगी के प्रतीक हैं तो गोर्बाच्योव प्रगति के। आप अपने मन की खिड़कियों को सदा खुली रखिए, आपको अनायास ही कभी धूप मिलेगी तो कभी हवाएँ, कभी ख़ुशबू मिलेगी तो कभी टिमटिमाते तारे।
यह है फ़िज़ा कुछ सीखने की, कुछ पाने की। अपने मन को ऊँचा कीजिए, निर्मल कीजिए। मन की क्षुद्रताओं का त्याग कीजिए। मन को रोशनदान बनाइए, जिससे ब्रह्मांड की रोशनी भीतर बैठे ब्रह्म को मिल सके। जीवन में किसी तरह की कमी है तो रोते-झींकते मत रहिए। संघर्ष कीजिए, सफलता आपके क़दम चूमेगी। इस देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी ग़रीब घर में पैदा हुए। अमेरीका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन भी ग़रीब घर में जनमे। भगवान जीसस तो पेड़ के नीचे ही पैदा हुए मिले। गरीब घर में पैदा होना कोई गुनाह नहीं है, पर कृपा करके अपने मन को कभी भी गरीब न बनाएँ। जो भी है, जैसा भी है, मस्त रहें। ऊँचे सपने देखें, ऊँचे लक्ष्य बनाएँ । ऊँचा पुरुषार्थ करें। दुनिया आपकी होगी।
जीवन के प्रति अपनाया गया सकारात्मक नज़रिया ही आदमी के आत्मविश्वास को बनाने का आधार होता है। अगर कोई कुरूप है तो वह अपनी कुरुपता की हीनभावना के बारे में सोच-सोच कर अपने मन को कमज़ोर न करे। काला होना कोई गुनाह नहीं है। आदमी की पूजा चमड़ी के रंग से नहीं, अपितु जीवन जीने के ढंग से होती है।रंग को तो हम नहीं बदल सकते, मगर ढंग को तो हम बदल ही सकते हैं।
ऐसा हुआ, हमारा एक करीबी घर है। उस घर की गृहिणी बहुत सुन्दर है। मैंने उस बहिन से पूछा – 'बहिन, तुम इतनी सुन्दर हो, पर तुम्हारे पति इतने काले-कलूटे, चेचक के दाग वाले है। तुमने ऐसे आदमी
को क्यों पसंद किया? वह बोली, 'साहब, यह मेरी लव मेरिज है।' मैं और चौंका कि इसने भी किसे छाँटकर निकाला!
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