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प्रतिदिन हर सुबह की शुरुआत अगर कहीं से की जानी चाहिए तो वह उत्साहपूर्वक मुस्कान के साथ दिन की शुरुआत होनी चाहिए। उत्साह के साथ अगर झाड़ भी लगाएँ तो वह भी व्यक्ति के लिए सफलता का दरवाजा बन सकता है, अनुत्साह से या बेमन से व्यापार भी किया जाए तो वह भी घाटे का सौदा साबित होता है। मन लगाकर अगर गुल्ली-डंडा भी खेलो तो वह भी हमे सचिन तेंदुलकर बना देता है। उखड़े और उचटे मन से तो आदमी शेखचिल्ली के अलावा बन भी क्या सकता है ?
काम महत्वपूर्ण नहीं होता अपितु उसके पीछे रहने वाली मानसिकता ही महत्वपूर्ण होती है। आप हर काम खुशी-खुशी करें, तन्मयता से करें। जो कुछ भी करें, धैर्य से करें, मन से करें, आनंद भाव से करें। चाहे झाड़ लगाएँ या कपड़ों पर प्रेस करें, खाना बनाएँ या किसी का सत्कार करें, आप इतने सलीके से करें कि जैसे बिल क्लिंटन देश का संचालन कर रहे हों या ठाकुर रवीन्द्रनाथ गीतांजलि की रचना कर रहे हों। जो भी करें, अच्छी मानसिकता से करें।
वही व्यक्ति भूलें करता है जो अपनी मानसिकता को बेहतर नहीं बना पाता। वही व्यक्ति ठोकर खाता है, जो सावचेत होकर नहीं चलता और वही व्यक्ति अपने माता-पिता की उपेक्षा करता है, जो सकारात्मक नज़रिया अख्तियार करने में कामयाब नहीं हो पाता। सुबह जब उठे तो उठ हमारे जीवन में उत्साह का संचार हो जाना चाहिए। सूरज उगे, उससे पहले हम जग जाएँ। गुलाब का फूल खिले, उससे पहले हमारा अंतरमन खिल जाना चाहिए। सुबह उठें तो ऐसे नहीं कि आधे घंटे तक बिस्तर पर पड़े रहें। उठें तो ऐसे उठे कि जैसे आपने नींद को फटे जूते की तरह उतार फेंका रोते-झींकते मन से दिन की शुरुआत करने वाले व्यक्ति का पूरा दिन भी रोते-झींकते ही बीता करता है। स्वस्थ मन से दिन की शुरुआत करने वाले व्यक्ति का पूरा दिन स्वस्थ और सुकूनभरा हुआ करता
के साथ ही
सफलता आसमान से नहीं टपकती। किस्मत पाताल फोड़ कर नहीं आया करती। सफलताएँ उन्हें ही मिला करती हैं, जिनके साथ किस्मत होती है और किस्मत उन्हीं लोगों का साथ दिया करती है जो किस्मत का परिणाम पाने के लिए स्वयं अपना पुरुषार्थ किया करते हैं। हर किसी इंसान के जीवन में भाग्योदय का एक अवसर अवश्य आया करता है, पर भाग्य अपना परिणाम उसी व्यक्ति को दिया करता है जो हर अवसर का उपयोग करने के लिए जागरूक होता है। जो अवसर का स्वागत नहीं करते उनकी देहरी से भाग्य उलटे पाँव लौट जाया करता है।
___ यदि कोई शेर गुफा में बैठे-बैठे ही सोचता रहे कि वहाँ कोई हिरण उसके मुँह में स्वतः ही आ जाएगा तो वह शेर हड्डियों का कंकाल मात्र बन जाएगा और उसके ख्वाब पूरे न होंगे। हर शेर को भी अंततः पुरुषार्थ करना ही होता है। कीड़ों को कण के लिए और हाथी को मण के लिए कुछ-न
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