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हर व्यक्ति स्वर्ग पाना चाहता है, पर स्वर्ग बनाना कोई नहीं चाहता। जिसने वर्तमान जीवन को स्वर्ग बनाया है. उन्हीं को मरने के बाद स्वर्ग मिला करता है। अगर लड़ते-लडते. स्वार्थ में अंधे होकर जीते हैं तो जान लीजिये कि नरक में ही जी रहे हैं। मेरे लिए स्वर्ग और नरक केवल शब्द भर हैं और जीवन को समझने के लिए प्रतीकात्मक रूप से वे स्वर्ग और नरक के आधार हैं । स्वर्ग और नरक एक अवस्था है, जीवन को दी गई एक व्यवस्था है, हम स्वयं ही फैसला करें कि हमारा जीवन स्वर्ग है या नरक।
मेरे देखे, जीवन को स्वर्ग बनाया जा सकता है। जीवन तो बाँस का टुकड़ा है। यह आप पर निर्भर है कि आप उसका क्या उपयोग करते हैं । उससे आपस में लड़ते हैं या शव को जलाते हैं या सुरों को साधकर बाँसुरी बना लेते हैं । जीवन की धन्यता इसी में है कि उसे बाँस का टुकड़ा न रहने दें अपितु उसे बाँसुरी बनाएँ । बाँसुरी भी इसलिए बनानी चाहिए कि व्यक्ति अपने जीवन में अधिक-से-अधिक मुस्कुराने की आदत डालकर आनन्द भाव का संचार कर सके।
मुस्कान तो शीतलता है। यह सभी को आइसक्रीम की तरह अच्छी लगती है। जिसने भी इसे विकसित कर लिया, वह हरेक को सुहाएगा। मुस्कान सर्दी में खिलने वाली सुबह की धूप है जो सबके तन-मन को ताज़गी देती है। जब हम किसी से प्रतिदिन मिलते हैं तो रोज़ाना फूलों का गुलदस्ता तो नहीं दे सकते, लेकिन मुस्कान का सुगंधित गुलाब तो रोज़ाना ही दिया जा सकता है। सास को भी मुस्कान दीजिए और सास से भी मुस्कान लीजिए । मुस्कान का आदान-प्रदान कीजिए। मुस्कान तो चंदन का तिलक है जो माथे के साथ-साथ अंगूठे को भी महकाता है।आप जीवन में मुस्कुराहट को मूल्य दीजिए और शांति को अपनाइए।
आप एक प्रयोग कीजिए – अपने घर में या अपने कार्यस्थल पर जहाँ भी आप हों, तीन मिनट के लिए बैठ जाइए और आती हुई श्वासों का अनुभव करते हुए धारण कीजिए कि मैं अपने अन्तर्मन को शांतिमय बना रहा हूँ और जाती हुई श्वासों के साथ मुस्कुरा रहा हूँ। तीन मिनिट का यह प्रयोग सुबह-शाम कर लेने से आपके जीवन से गुस्सा, चिड़चिड़ापन और नकारात्मक भाव विलुप्त होने लगेंगे, धीरे-धीरे कम होते जाएँगे। मुस्कान तो उस टॉनिक की तरह है जिसे यदि सुबह-सुबह ले लिया जाए तो दिनभर उसकी ऊर्जा बनी रहती है और शाम को भी लिया जाए तो वह रात भर प्रसन्नचित रहता है।
___ज्यों-ज्यों आपके जीवन में मुस्कान का विस्तार होगा, आप पुष्प की तरह खिलते जाएँगे। जो स्वयं शांति और आनन्द से भरा होता है, वही अपने परिवार और समाज में शांति और आनन्द का संचार कर सकता है। अशांत व्यक्ति अशांति ही फैलाएगा और शांत व्यक्ति शांति ही। जिसने कभी आँखें लाल नहीं की और जीभ खारी नहीं की उसकी शांति और मुस्कान उसके परिवार और समाज के लिए सबसे महान् है। जो घरपरिवार में शांति और आनन्द का संचार करता है उसके द्वारा उससे बड़ी सेवा परिवार और समाज की क्या हो सकती है? जरा सोचिए कि वह क्या है, जिसके आने से जीवन में सावन की बहार आ जाती है और जाने से
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