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________________ जहाँ तनाव है, खिंचाव है, वहाँ-वहाँ शिथिलता, रिलैक्स होने का भाव कर । इतना रिलैक्सेशन कि आपका तनाव घट जाए । पन्द्रह मिनिट तक किया गया यह प्रयोग हमको निश्चित ही तनाव से उबार देता है बशर्ते हम यह प्रयोग थोड़ा धैर्य और ईमानदारी से करें। अगर आपकी कमर में दर्द है तो तीन मिनिट का प्रयोग करें और अपना ध्यान उस ओर ले जाएं। उस भाग की मांसपेशियों को ढीला छोड़ें, शिथिल करें, सहज होने दें। अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और ध्यान उस भाग पर केन्द्रित कर दें। अपने स्वयं के प्रयोग से अगर लाभ न हो तब फिर किसी चिकित्सक के पास जाइए और औषधि लीजिए । तीन मिनिट में यह रिलैक्सेशन, शिथिलीकरण और शवासन आपको भला-चंगा कर देगा । कभी-कभी कोशिश कीजिए कि आप प्रकृति के पास जा सकें। किसी खिले हुए फूल पास जाइए। उसके सौन्दर्य और उसकी सुवास को महसूस कीजिए । प्यार से उसे सहलाइए। अगर कोई कबूतर गुटरगूं कर रहा है तो उसे उठाइए मत। उसके पास जाकर बैठ जाइए। उसकी गुटरगूं सुनिए। आपको बहुत मजा आएगा। कबूतर के जोड़े की गुटरगूं का आनन्द लीजिए। आप देखिए कि उसमें जीवन का आनंद किस प्रकार संचारित है। उनमें भी जीवन का क्या स्वरूप है ? उनकी गुटर-गूं का अपने मन की गुटर-गूं से मिलान कीजिए। उसकी मनोदशा तथा समता का अनुभव होते ही आपका मन भी शांत होने लगेगा। आप कभी उड़ते हुए पंछियों को देखें, खिले हुए फूलों को देखें, उगते हुए सूरज को देखें, बादलों को सूरज से अठखेलियाँ करते हुए देखें, आसमान में टिमटिमाते हुए तारों को देखें, चाँद के शीतल प्रकाश में स्वयं को एकरूप कर दें। कुछ भी कर सकते हैं । आप यदि और किसी सरोवर के पास चले गए तो वहाँ उठती - गिरती लहरों को देखें और किलोलें करते हुए पक्षियों का कलरव सुनें । प्रकृति के सान्निध्य में जीने व्यक्ति अपने सान्निध्य में आता है और वहीं उसका तनाव मिट जाता है। कभी किसी फूल के पास जाओ तो उसे तोड़ो मत, उसे प्यार से चूम लो । वह कली, वह फूल आपको ऐसी अन्तर्चिकित्सा दे देगी, ऐसा अन्तर्सुकून देगी कि फूल की खिलावट आपके अन्तर्मन में बस जाएगी। आपका मन भी फूल की तरह खिल उठेगा । ये छोटे-छोटे सूत्र, ये छोटे-छोटे मंत्र ज्योतिकणों के समान व्यक्ति को तनाव से बचा सकते हैं, उसे तनाव से मुक्त कर सकते हैं। बेहतर होगा कि आप यह कोशिश करें कि अपने आप को व्यस्त रख सकें। आप अपने कार्य से प्यार करना सीखें। ये बातें जीने जैसी हैं। यह प्रयोग हर हमेशा करें कि मुस्कुराते रहें । जैसी भी स्थिति या परिस्थिति हो, दिल से मुस्कुराना न भूलें। सुबह आँख खुली कि अंग-अंग मुस्कुरा उठे। कभी रात में भी नींद खुल जाए तो भी मुस्कुरा दें और पुनः सोने का प्रयास करें। अगर नींद न आए तो वे ही बातें याद करें जो आपको सुकून देती हैं, आपमें मिठास भरती हैं हमारी भावदशा ऐसी हो जैसे खिला हुआ फूल । | Jain Education International For Personal & Private Use Only LIFE 43 www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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