________________
तो लोगों से मिलें तब भी मुस्कुराकर मिलें । छोटी-छोटी बातों को लेकर गुस्सा न खाएँ । छोटी-छोटी बातों और गलतियों को नज़र अंदाज करने की आदत डालें, वरना आप फिर-फिर खिन्न और क्रोधित हो उठेंगे। हो-हल्ला करने की आदत छोड़िए । शांति को मूल्य दीजिए । तौलिया जब फर्श पर है, तो सुर अर्श पर क्यों ? हो-हल्ला करने से आपका चेहरा बड़ा भद्दा दिखाई देने लग जाएगा, जबकि उसे सुन्दर रखने के लिए आप न जाने कितनी तरह के क्रीम पाउडर लगाते हैं। सदाबहार खुश रहना संसार का सबसे अच्छा क्रीम पाउडर है । 'फील गुड' का आजकल बड़ा प्रचार है। फील गुड अर्थात् हर समय अच्छे मिजाज के मालिक बनो ।
तनाव घटाने के लिए कभी-कभी थोड़ा संगीत भी सुनिए, रस- प्रधान संगीत सुनिए । जो बातें मैंने पहले कही हैं, वे तो तनाव पैदा ही न हो, इसके लिए हैं। पर पुरानी बीमारियाँ अगर रही हैं, तनाव अगर पहले से ही है तो उसको भी तो दुरुस्त करना पड़ेगा। आप थोड़ा संगीत सुना करें, कभी-कभी । दिन भर रेडियो या टेप न चलाएँ बल्कि मधुर संगीत, जैसे बाँसुरी या अन्य कोई वाद्ययंत्र जो वातावरण में मधुरता घोल दे, सुनें। अगर खुद बजा सकते हों तो अच्छा है और न भी बजा सकते हों तब भी किसी अच्छे कलाकार की बाँसुरी के स्वर, कभी वीणा - सितार के स्वर आधा घंटे तक चलाइए और उसका आनंद लीजिए ।
तनाव घटाने के लिए एक काम और कर सकते हैं। वह यह कि यदि आप कभी शाम के समय जब आराम कुर्सी पर बैठे हैं तो एक कागज हाथ में ले लीजिए और चित्र बनाना शुरू कर दीजिए। हो सकता है, आपको चित्र बनाना नहीं आता हो। कोई बात नहीं, आड़ी-तिरछी रेखाएँ ही खींचिए। घोड़ा बनाने की कोशिश कीजिए। हो सकता है घोड़ा नहीं, घास बन जाए। घोड़ा न बने और उसकी जगह मुर्गा बन जाए। कोई बात नहीं, आप अपना काम जारी रखिए । बच्चा जब पहले-पहले कलम हाथ में लेता है तो आड़ी-तिरछी चलाता है । जो वह भी करता है, उसे देखकर खुश भी होता है। उसकी कल्पना काम करती है। धीरे-धीरे हो सकता है कि वह पूरा चित्र ही बना डाले । कुछ दिनों के बाद आप भी पाएँगे कि आपने कोई सृजन किया है, कुछ निर्माण किया है। आपने जो कुछ भी निर्मित किया है, उससे आपको बहुत सुकून मिलेगा । सृजनात्मक कार्य का अपना आनन्द है। ऐसा सृजन जो धन कमाने के लिए नहीं होता पर रचनात्मक जरूर होता है। यह रचनात्मकता ही आपके तनाव को कम करेगी।
तनाव को कम करना है, तनाव को हटाना है तो एक प्रयोग और कर सकते हैं। वह यह है कि दस-पंद्रह मिनिट के लिए आप लेट जाइए। अपने पाँव के अंगूठे पर अपना ध्यान लगाइए और धीरेधीरे ऊपर चढ़ते हुए अपने शरीर के एक-एक अंग पर धैर्यपूर्वक अपना ध्यान केन्द्रित कीजिए । जहाँ
42
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org