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का गुलाम है उसका महीनों का तप और लाखों का दान भी व्यर्थ है, उसका नरक तो तय हो ही गया। इसलिए अपने जीवन का लक्ष्य रखिए शांति । शांति ही आपके जीवन का सुख है, परिवार का स्वर्ग है, समाज की ताक़त और संसार का सुकून है। आप अपने परिवार में शांति का वातावरण दीजिए, आपको भी शांति मिलेगी। सभी को शांति का सुकून दीजिए। अपने घर में एक तख्ती टांगिए। जिस पर लिखा हो – 'हे जीव ! शांत रह।' इसे ऐसे स्थान पर टांगिए जहाँ आपकी निगाह पड़े। दिन में पाँच-सात बार उसे देख लीजिए और चित्त में धरकर अनुपालना कीजिए। शांति आपके जीवन की ताक़त हो, दौलत हो, लक्ष्य हो। क्रोध तो आपके जीवन का माइनस है । क्रोध मन की शांति को खंडित करता है, तनाव को जन्म देता है, हंसी की हत्या करता है और ख़ुशी को ख़त्म।आप नहीं जानते कि आपका क्रोध आपके बच्चों तक का केरियर चौपट कर देता है।
एक माँ अपने पुत्र के साथ मुझसे मिलने आई। मैंने लड़के से पूछा, 'बेटा, कौनसी क्लास में पढ़ते हो?' उसने बताया बारहवीं में । मुझे लगा कि यह तो उम्र से अधिक है और अभी बारहवीं में ही पढ़ रहा है। मैंने उससे यह बात पूछी तो माँ ने जवाब दिया कि पिछले वर्ष परीक्षा के दिनों में इसके पिताजी ने इसे डाँट दिया तो इसने परीक्षा देने से इंकार कर दिया। समझाने-बुझाने का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो पिता ने चाँटा मार दिया। परीक्षा का समय हो रहा था और इसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। हम बाहर से चिल्लाते रहे, पर इसने दरवाज़ा नहीं खोला, समय निकल गया और अब आज तक यह पछताता है कि मैंने गुस्सा क्यों किया, मेरा एक साल बिगड़ गया।
अभी-अभी मेरा जोधपुर के कारागार में प्रवचन देने के लिए जाना हुआ।वहाँ ऐसे ही कैदियों के मध्य बैठा हुआ था। एक कैदी से पूछा, 'भाई, तुम्हें किस जुर्म में कैद हुई है?' वह रोने लगा, मैंने सांत्वना देकर पूछा, 'कुछ कहो तो सही।' उसने कहा, 'मेरे गुस्से के कारण मुझे ग्यारह साल की जेल हुई है।' मैंने कहा'मतलब?' तब उसने बताया कि उसे शराब पीने की आदत थी। पत्नी ने कई बारं समझाया लेकिन कछ हल न निकला। तब तय हुआ कि वह घर में शराब नहीं पिएगा। पीना ही है तो बाहर पिए । एक दफ़ा पत्नी कुछ दिनों के लिए मायके गई। उसने सोचा अब दस-पन्द्रह दिन तक तो पत्नी आने वाली है नहीं, सो घर में ही महफ़िल सजने लगी। एक दिन जब वह अपने दोस्तों के साथ बैठा शराब पी रहा था तो अचानक पत्नी आ धमकी। आते ही वह तमतमा उठी और उसने दोस्तों के सामने ही खरी-खोटी सुना दी। मुझे गुस्सा आ गया मैंने सामने पड़ा पेपरवेट उठाकर उसके दे मारा । पेपरवेट सिर में लगा, पत्नी के सिर से खून की धार बह निकली। वह घबराया, उसे लेकर डॉक्टर के यहाँ गया, पर अब उस देह में प्राण नहीं थे, वह मृत घोषित हो गई और हत्या के जुर्म में उसे ग्यारह वर्ष की जेल हो गई। उसने मुझसे कहा कि वह आज तक इसी बात को लेकर पछता रहा है कि उसने गुस्सा क्यों किया?
साधारण गणित में एक और एक दो हो सकते हैं लेकिन गुस्से के गणित में तो एक और एक ग्यारह ही
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